कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि लंच के बाद में गवर्नर से मिलूंगा और उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा दूंगा। राज्य में आज ही भाजपा सरकार के 2 साल पूरे हुए हैं। इसी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा कि मैं हमेशा अग्निपरीक्षा से गुजरा हूं।
लिंगायत समुदाय पर है मजबूत पकड़-
येदियुरप्पा की लिंगायत समुदाय पर मजबूत पकड़ है। ऐसे में उनके इस्तीफे के बाद भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती लिंगायत समुदाय को साधने की होगी। बीते दिन ही विभिन्न लिंगायत मठों के 100 से अधिक संतो ने येदियुरप्पा से मुलाकात कर उन्हें समर्थन की पेशकश की थी। संतो ने भाजपा को चेतावनी दी थी कि अगर उन्हें हटाया गया तो, परिणाम भुगतने होंगे।
नए मुख्यमंत्री के दावेदारों में कौन-कौन आइए जाने-
येदियुरप्पा की जगह लिंगायत समुदाय से ही आने वाले किसी और मंत्री या विधायक को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भाजपा इस बार गैर लिंगायत पर दांव खेल सकती है।
फिलहाल अगले मुख्यमंत्री के तौर पर जिन नामों की चर्चा है, उनमें सबसे पहला नाम बसवराज बोम्मई का है। बोम्मई जो लिंगायत समुदाय से आते हैं और कर्नाटक सरकार में गृह मंत्री होने के साथ-साथ संसदीय कार्य मंत्री और कानून मंत्री भी हैं।
– भाजपा हाईकमान विश्वेश्वरा हेगडे कगेरी के नाम पर भी विचार कर रही है। कगेरी कर्नाटक का ब्राह्मण चेहरा है और फिलहाल कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष हैं।
– राज्य के खनन मंत्री एमआर निरानी को भी नए मुख्यमंत्री का मजबूत दावेदार बताया जा रहा है। यह भी लिंगायत समुदाय से आते हैं। निरानी ने पार्टी हाईकमान से मुलाकात की। निरानी रविवार शाम दिल्ली पहुंचे थे।
– इसके अलावा केंद्रीय कोयला खनन मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी का भी नाम सामने आया है।
दिल्ली में भी शुरू हुई हलचल-
– बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के ऐलान के बाद दिल्ली में भी हलचल तेज हो गई है। इस बीच भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कर्नाटक प्रभारी अरुण सिंह से बात की है माना जा रहा है कि जल्द ही ऑब्जर्वर के नाम का ऐलान हो सकता है। जिसके बाद मुख्यमंत्री चुना जाएगा।
16 जुलाई को अचानक पीएम से मुलाकात करने पहुंचे थे येदियुरप्पा-
इससे पहले येदियुरप्पा 16 जुलाई को दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। अचानक हुई इस मुलाकात में यदि येदियुरप्पा के इस्तीफे की अटकलों को हवा दे दी थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी।
येदियुरप्पा पहले भी दिखा चुके हैं अपनी राजनीतिक पावर-
येदियुरप्पा ने 31 जुलाई 2011 को भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 30 नवंबर 2012 को कर्नाटक जनता पक्ष के नाम से अपनी पार्टी बनाई थी। दरअसल येदियुरप्पा के इस कदम के पीछे लोकायुक्त द्वारा अवैध खनन मामले की जांच थी। इसी जांच में येदियुरप्पा का नाम सामने आया था। इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा था। 2014 में येदियुरप्पा फिर भाजपा में शामिल हो गए।
इसके बाद 2018 में कर्नाटक में सियासी नाटक के दौरान पहले ढाई दिन के लिए मुख्यमंत्री बने और इमोशनल स्पीच के बाद सत्ता छोड़ दी। फिर दोबारा 2019 में बहुमत साबित कर मुख्यमंत्री बनने की प्रक्रिया ने भी आलाकमान के सामने येदियुरप्पा का कद बढ़ा दिया था।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)