तकनीकी शिक्षा के नए आयाम स्थापित करने के लिए देश के कोटा शहर में प्रदेश का पहला तकनीकी विश्वविद्यालय आरटीयू की स्थापना की गई थी। वर्तमान में यह तकनीकी विश्वविद्यालय कर्मचारियों को तरस रहा है। आरटीयू कोटा के अलुमिनी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत स्वामी को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से यह खुलासा हुआ है। आरटीयू में स्टाफ का अकाल पड़ा हुआ है। 50% कर्मचारियों के भरोसे विश्वविद्यालय की गतिविधियां संचालित की जा रही है। राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी से 90 से ज्यादा कॉलेज एफिलिएटिड हैं। और लगभग 60 हजार से ज्यादा विद्यार्थी पंजीकृत हैं।
सुजीत स्वामी ने बताया कि उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत आरटीयू से रिक्त पड़े पदों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी थी। जिससे जवाब में जुलाई में कुल सचिव नरेश कुमार ने सूचना उपलब्ध करवाई। दिए गए उत्तर से पता चला कि शैक्षणिक पद में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर की 261 सेंक्शन पदों में से मात्र 93 पद भरे हैं, जबकि 168 पद खाली हैं। और शैक्षणिक कर्मचारियों में 382 पद सेंक्शन है, जिसमें से 173 भरे हैं। जबकि 209 पद खाली हैं।
यह पद पड़े हैं खाली-
प्रोफेसर के 37 पदों में से 26 पद खाली हैं। कुल 20 संकायों में से 13 में से एक भी प्रोफेसर नहीं है। एसोसिएट प्रोफेसर के 68 पदों में से 51 पद खाली हैं। जिसमें 10 संकायों में एक भी एसोसिएट प्रोफेसर नहीं है। असिस्टेंट प्रोफेसर के 156 पदों में से 93 पद खाली हैं। पेट्रोकेमिकल, आईटी, सेंटर एनेवेवल एनर्जी, एमबीए में तो एक भी प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं है।
इसके अलावा अशैक्षणिक में लाइब्रेरियन, परीक्षा नियंत्रक, निदेशक, डीन स्टूडेंट वेलफेयर, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, विधि अधिकारी आदि जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रिक्तियां चल रही हैं। सबसे ज्यादा अशैक्षणिक में कनिष्ठ सहायक पद में रिक्त हैं। कनिष्ठ सहायक में 66 में से 58 पद खाली हैं। यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के सामने आने वाली मानसिक एवं अन्य परेशानियों को दूर करने के लिए यूनिवर्सिटी में एक भी काउंसलर नहीं है। इसके अलावा मेडिकल इमरजेंसी के लिए यूनिवर्सिटी की डिस्पेंसरी में कोई एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं है।
विद्यार्थियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है
सुजीत स्वामी का कहना है कि आरटीयू में शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक स्टाफ की कमी का होना काफी चिंताजनक है। स्टाफ की कमी से इस से एफिलेटेड कॉलेजों के विद्यार्थियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। परीक्षा, कॉपी चेक, रिजल्ट, पंजीकरण आदि बहुत से काम इस वजह से प्रभावित होते हैं। इसके साथ ही विद्यार्थियों की पढ़ाई पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा स्टाफ की कमी से वहां मौजूद स्टाफ पर भी अतिरिक्त काम का भार पड़ता है। जिससे उनके काम करने की गुणवत्ता प्रभावित होती है। सरकार को इसे त्वरित कार्रवाई करते हुए स्टाफ की कमी को दूर करना चाहिए।
आरटीयू के कुलपति प्रोफेसर आरए गुप्ता का कहना है कि स्टाफ तो कम है। हमने सरकार से टीचिंग के लिए 50 से ज्यादा व नॉन टीचिंग के लिए 50 के आसपास पोस्ट सेंक्शन करा ली है। इनको भरने के लिए रोस्टर बनाना पड़ता है। जैसे ही रोस्टर कंप्लीट होगा, भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)