प्रश्न- महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के संबंध में क्या कानून में विशेष प्रावधान है ?
उत्तर- जी हां |भारतीय दंड संहिता,1860 एवं अन्य कानूनों में महिलाओं से संबंधित अत्याचार के विरुद्ध प्रावधान किए गए हैं |
प्रश्न- क्या एक महिला अपने परिवार में हो रही हिंसा के संबंध में भी शिकायत दर्ज कर सकती है ?
उत्तर- जी हां| इस संबंध में सरकार द्वारा घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम बनाया गया है | जिसके तहत कोई भी महिला अपने परिजनों द्वारा की जा रही घरेलू हिंसा के संबंध में भी शिकायत दर्ज कर सकती है | इसके अलावा यदि उक्त अपराध भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत भी दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है तो वह उसमें भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है |
प्रश्न- हाथरस मामले में परिजनों को मृतका का शव सुपुर्द नहीं किया जाना क्या उचित था ?
उत्तर- मेरी नजर में यह कृत्य पूरी तरीके से अनुचित था |एक परिवार को अपनी पुत्री का शव लिया जाना उसका संवैधानिक अधिकार है | जिससे उसे वंचित नहीं किया जा सकता |
प्रश्न- मृत्युकालीन कथन कि कानून में क्या भूमिका है ?
उत्तर- भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अनुसार मृत्यु कालीन कथन एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है | यदि मृत्युकालीन कथन की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता साबित कर दी जाए तो केवल मात्र उसके आधार पर भी निर्णय दिया जा सकता है | ऐसे में यहां यह बताया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है की मृत्यु कालीन कथन किसी भी मामले में एक महत्वपूर्ण और सुदृढ़ साक्ष्य होता है |
प्रश्न- क्या शव का अनादर किया जाना भी कोई अपराध हो सकता है ?
उत्तर- जी हां | मृतक के शव का अनादर किया जाना भी मानहानि की कोटि में आने वाला अपराध होता है |
प्रश्न- जहां किसी मामले में कोई चश्मदीद साक्षी ना हो वहां अन्य तरीके से टी मामला साबित किया जा सकता है क्या ?
उत्तर- हर बार किसी मामले के चश्मदीद साक्षी का उपलब्ध होना आवश्यक नहीं होता ऐसे मामलों में परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर मामला साबित किया जा सकता है | चिकित्सकीय साक्षी और अन्य साक्ष्य की भी उतनी ही वैधानिक मान्यता होती है |
प्रश्न- क्या बलात्कार के पश्चात हत्या जैसे मामलों में प्रत्यक्षदर्शी साक्षी के अलावा भी मामला साबित किया जा सकता है ?
उत्तर- ऐसे मामलों में चिकित्सकीय साक्ष्य और परिस्थितिजन्य साक्ष्य महत्वपूर्ण होते हैं | यदि चिकित्सकीय साक्ष्य घटना का समर्थन कर रहे हैं तो अपराध उनके आधार पर साबित किया जा सकता है | इसके अतिरिक्त कई अन्य साक्ष्य भी हो सकते हैं जैसे अभियुक्तगण की घटनास्थल पर उपस्थिति उनकी कॉल लोकेशन से भी साबित की जा सकती है |
प्रश्न- किसी भी मामले में साक्षीगणों की संख्या कम से कम कितनी होनी आवश्यक है?
उत्तर- भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कहीं भी साक्षीगण की न्यूनतम संख्या के बारे में हवाला नहीं दिया गया | वास्तविकता में एकमात्र विश्वसनीय साक्ष्य के आधार पर भी मामला साबित हो सकता है | इसके अलावा किसी भी साक्षीगण के अभाव में मामला केवल मात्र परिस्थितिजन्य से साक्ष्य से भी साबित किया जा सकता है | ऐसी स्थिति में यहां यह कहा जा सकता है कि साक्षी गण की संख्या मामले की प्रमाणिकता में कोई योगदान नहीं रखती|
भानु प्रकाश शर्मा (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)