अदालत ने सरकार से कहा कि “कृषि कानूनों का मुद्दा आपसे नहीं सभंला, अब हम एक्शन लेंगे” शाम तक आदेश आना संभव।
किसान आंदोलन को आज 47 दिन हो गए हैं। नए कृषि कानून रद्द करने समेत किसान आंदोलन से जुड़े दूसरे मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने करीब 2 घंटे सुनवाई हुई। सरकार के रवैए को लेकर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस एसके बोबडे ने सरकार से कहा “कृषि कानूनों पर आपने रोक नहीं लगाई तो हम रोक लगा देंगे, इस मामले को आप सही तरीके से हैंडल नहीं कर पाए, हमें कुछ एक्शन लेना पड़ेगा।”
उम्मीद है कि आज शाम तक कोर्ट अंतरिम आदेश जारी कर दें। क्योंकि चीफ जस्टिस ने कहा कि “किसानों के प्रदर्शन से जुड़े मुद्दों और कृषि कानून लागू करने को लेकर अलग-अलग हिस्सों में आदेश जारी करेंगे।”
कोर्ट ने कहा “अटॉर्नी जनरल हमें लेक्चर मत दीजिए”-
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से और समय मांगा तो चीफ जस्टिस ने कहा”मिस्टर अटॉर्नी जनरल आपको लंबा वक़्त दे चुके हैं, हमें धैर्य पर लेक्चर मत दीजिए”।
चीफ जस्टिस- अगर सरकार ने कृषि कानूनों पर रोक नहीं लगाई, तो हम रोक लगा देंगे। सरकार जिस तरह से इस मामले को हैंडल कर रही है उससे हम निराश हैं।
चीफ जस्टिस -कुछ लोग सुसाइड कर चुके हैं। बुजुर्ग और महिलाएं आंदोलन में शामिल हैं।आखिर चल क्या रहा है? कृषि कानूनों को अच्छा बताने वाली एक भी अर्जी नहीं आई।
चीफ जस्टिस -अगर कुछ गलत हुआ तो हम सभी जिम्मेदार होंगे। हम नहीं चाहते कि किसी तरह के खूनखराबे का कलंक हम पर लगे।
चीफ जस्टिस- केंद्र सरकार को पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।आप कानून ला रहे हैं इसलिए आप ही बेहतर समझते हैं।
अटॉर्नी जनरल -सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले में कहा गया है। कि अदालतें कानून पर रोक नहीं लगा सकती। कोर्ट किसी कानून पर तब तक रोक नहीं लगा सकता, जब तक कि यह साफ ना हो जाए की कानून नियमों की अनदेखी कर लागू किया गया। और इससे लोगों के अधिकारों का हनन होता है।
अटॉर्नी जनरल- हरियाणा के मुख्यमंत्री के साथ जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था। किसान 26 जनवरी के राष्ट्रीय महत्व के दिन को बर्बाद करने के लिए राज्य पथ पर ट्रैक्टर मार्च निकालने की योजना बना रहे हैं।
चीफ जस्टिस – कृषि कानूनों के मुद्दे को आपने सही ढंग से हैंडल नहीं किया। हमे एक्शन लेना पड़ेगा, हम कुछ नहीं कहना चाहते। प्रदर्शन जारी रह सकता है लेकिन जिम्मेदारी कौन लेगा?
किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा किसानों को रामलीला मैदान जाने की इजाजत मिलनी चाहिए। वे किसी तरह की हिंसा नहीं चाहते। ऐसे अहम कानून संसद में ध्वनिमत से कैसे पास हो रहे हैं। अगर सरकार गंभीर है तो उसे संसद का संयुक्त सत्र बुलाना चाहिए।
पिटीशनर के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि आंदोलन में कुछ ऐसे लोग शामिल हैं। जिन्हें बाहर किया जाना चाहिए। साल्वे ने उन संगठनों का जिक्र किया जो जस्टिस फॉर सिख लिखे हुए बैनर के लिए पैसा जुटा रहे हैं।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)