Home News किसान आंदोलन में हार्ट अटैक से 2 किसानों की मौत।

किसान आंदोलन में हार्ट अटैक से 2 किसानों की मौत।

by marmikdhara
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दिल्ली, किसी कानूनों के विरोध में आंदोलन 2 किसानों की मंगलवार रात टिकरी बॉर्डर पर मौत हो गई। मृतकों में एक किसान पंजाब का और दूसरा किसान हरियाणा का था। दूसरी तरफ कुंडली बॉर्डर पर लुधियाना के जगजीत सिंह (34) की भी हार्ट अटैक से जान चली गई।
मंगलवार दोपहर बाद टिकरी बॉर्डर पर जहरीला पदार्थ निगलने वाले रोहतक के गांव पाकस्मा के करीब 42 वर्षीय किसान जय भगवान राणा की जान अस्पताल में इलाज के बावजूद भी नहीं बच सकी।
उन्होंने दिल्ली सीमा पर किसानों की सभा के मंच के निकट जहर खा लिया था। उन्हें दिल्ली के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। लेकिन मंगलवार देर रात उनकी मौत हो गई। टिकरी बॉर्डर चौकी के एक दरोगा ने बताया की जय भगवान राणा की मौत होने की जानकारी मिली है और मामले में आवश्यक कानूनी कार्रवाई दिल्ली के मुंडका थाने की पुलिस कर रही है। शव का पोस्टमार्टम संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में ही होगा।
वहीं दूसरी ओर, बहादुरगढ़ बाईपास पर नया गांव चौक के निकट पंजाब के 65 वर्षीय किसान धन्ना सिंह की मंगलवार देर रात हृदयाघात से मौत हो गई। उनके शव को नागरिक अस्पताल बहादुरगढ़ के शव गृह में रखा गया है। परिजनों को सूचना भेज दी गई है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि धन्ना सिंह 1 महीने से आंदोलन में थे।
मंगलवार रात को भी भोजन कर आराम से सोए। वह हर सुबह जल्दी जाग जाते थे। लेकिन बुधवार सुबह नहीं उठे तो करीब 7:00 बजे साथी किसानों ने आवाज लगाई । बार-बार आवाज लगाने पर भी कोई जवाब नहीं मिला उनको हिलाकर जगाने की कोशिश की गई। लेकिन इसके बावजूद उनके शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। तो उन्हें तुरंत नागरिक अस्पताल ले जाया गया। सीएमओ झज्जर डॉक्टर संजय दहिया ने बताया कि अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने जांच की तो वह मृत मिले। धन्ना सिंह पंजाब के पटियाला के गांव तंगू के रहने वाले थे।
जहरीला पदार्थ खाने से पहले जय भगवान राणा ने देशवासियों के नाम लिखे पत्र में कहा था कि किसानों की कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। राणा ने सरकार को इस समस्या का समाधान भी बताया था।पत्र में उन्होंने कहा है कि हर राज्य के दो-दो किसान नेताओं को बुलाकर। सरकार मीडिया की उपस्थिति में बात करें।अगर ज्यादा राज्यों के प्रतिनिधि कानूनों के खिलाफ हो तो कानूनों को रद्द कर दिया जाए, अन्यथा किसान अपने घर चले जाएं।

हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)

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