कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को 72 दिन हो चुके हैं। इसी आंदोलन के तहत किसान कल चक्का जाम करने की तैयारी में जुटे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने 6 फरवरी को 3 घंटे चक्का जाम का ऐलान किया था। इसे लेकर पुलिस भी अपनी स्ट्रेटजी बना रही है। दिल्ली एनसीआर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बलों कि 30 कंपनियों की तैनाती, 2 हफ्ते के लिए और बढ़ा दी गई है। दिल्ली में तैनात सीआरपीएफ की सभी यूनिट से कहा गया है कि वह अपनी बसों पर लोहे का जाल लगा लें।
हरियाणा के DGP मनोज यादव ने बताया कि SP जिलों में किसानों से बात कर रहे हैं। ताकि कहीं कोई दिक्कत नहीं हो। पुलिस की ओर से ट्रेफिक एडवाइजरी भी जारी की जाएगी। इससे लोगों को घर से निकलने से पहले पता रहेगा कि किस रूट से जाना है।
आंदोलन को मजबूती देने के लिए आज उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किसान पंचायतों की सीरीज शुरू की जाएगी। जो फरवरी के आखिर तक चलेगी। इनका राष्ट्रीय लोक दल (RLD)की तरफ से आयोजन किया जा रहा है। RLD ने पिछले हफ्ते किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया था। RLD के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने गुरुवार को कहा कि “किसान पंचायतों का मकसद सरकार को यह बताना है कि यह एक बड़ा आंदोलन है। इसमें राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी बनती है कि वे किसानों तक पहुंचे। और दूसरे लोगों को भी इस मुद्दे की संवेदनशीलता बताएं।”
साथ ही विपक्षी दलों के नेता सड़क से लेकर संसद तक सरकार को घेरने में लगे हैं। 9 विपक्षी दलों के 12 सांसदों ने गुरुवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को चिट्ठी लिखकर कृषि कानूनों पर सदन में अलग से चर्चा की मांग रखी। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के जमावड़े और पुलिस की तैयारियों को देखते हुए विपक्षी नेताओं ने चिट्ठी में यह भी लिखा कि दिल्ली का गाजीपुर बॉर्डर भारत – पाकिस्तान बॉर्डर जैसा नजर आ रहा है।
विपक्ष के एक डेलिगेशन ने लोकसभा स्पीकर से इस बात की शिकायत भी की थी, उन्हें गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों से मिलने से पुलिस ने रोक दिया। अकाली दल की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल की अगुवाई में 10 विपक्षी दलों के 15 नेता गुरुवार को गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे थे। वह किसानों से मिलना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। ऐसे में विपक्ष के डेलिगेशन को गाजीपुर से बैरंग लौटना पड़ा था।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)