देशवासियों के आग्रह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यह घोषणा की है कि राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड होगा। यह सूचना पीएम ने ट्विटर के जरिए दी। यह अवार्ड देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान है। सर्वप्रथम यह पुरस्कार भारत में 1991-92 में दिया गया था।
पीएम ने लिखा कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष एवं महिला टीम के द्वारा जो शानदार प्रदर्शन किया गया उससे सभी देशवासी अभिभूत हुए। विशेषकर हॉकी टीम में जो खिलाड़ियों ने अपनी मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगी। इस बात को ध्यान में रखकर जन आकांक्षाओं को देखते हुए हमने जो खेल रत्न अवॉर्ड हैं, उनका नाम मेजर ध्यानचंद के नाम से रखने का ऐलान किया है।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को खेल से जुड़ा बड़ा फैसला लिया। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड कर दिया गया है। मोदी ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि यह अवार्ड हमारे देश की जनता की भावनाओं का सम्मान करेगा।
1991-92 में हुई थी राजीव गांधी खेल रतन पुरस्कार की शुरुआत-
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार है। सरकार ने 1991 में इस पुरस्कार की शुरुआत की थी। इसे जीतने वाले खिलाड़ी को प्रशस्ति पत्र, अवार्ड और 25 लाख रुपए की राशि दी जाती है। सबसे पहला खेल रत्न पुरस्कार पहले भारतीय ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद को दिया गया था। अब तक 45 लोगों को यह अवार्ड दिया जा चुका है। अभी तक हॉकी में तीन खिलाड़ियों को खेल रत्न अवॉर्ड मिला है। इसमें धनराज पिल्ले, सरदार सिंह और रानी रामपाल शामिल है।
हॉकी का जादूगर कहे जाते थे मेजर ध्यानचंद-
मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज में हुआ था। भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यानचंद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना ज्वाइन कर ली थी। वह ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस किया करते थे। इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा। उनके खेल की बदौलत ही भारत ने 1928,1932 और 1936 के ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। 1928 में ओलंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किए। तब एक स्थानीय अखबार ने लिखा था “यह हॉकी नहीं, जादूगर था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं” तभी से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा।
विकास शर्मा (मार्मिक धारा)