कोटा, केंद्र सरकार की ओर से कोरोना काल में राज्य की सरकारों को 15 अक्टूबर के बाद हालात को ध्यान में रखते हुए कोचिंग सेंटर शुरू किए जाने के दिए गए निर्णय के बाद कई राज्यों ने अब कोचिंग सेंटर खोलने की तारीखों की घोषणा कर दी है। लेकिन राजस्थान में अब तक इसकी तस्वीर साफ नहीं हुई है। इससे कोचिंग इंडस्ट्री और इस व्यवसाय से जुड़े लोग अब राजस्थान में भी कोचिंग संस्थाओं को खोलने की मांग कर रहे हैं। पिछले 9 महीने से कोचिंग सेंटर्स बंद है, इससे कोटा की 3000 करोड़ की कोचिंग इंडस्ट्री ठप्प पड़ी है।
कोटा में हॉस्टलर्स संचालकों और निजी कोचिंग संस्थाओं सहित अन्य संस्थाओं से जुड़े सदस्यों के संयुक्त मोर्चे ने नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को ज्ञापन सौंपकर जल्द से जल्द कोचिंग सेंटर शुरू करवाने की मांग की है।
हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष शुभम अग्रवाल ने बताया है कि हमारे राज्य में कोचिंग शुरु करने में देरी की गई तो इसका सीधा फायदा दूसरे राज्यों की कोचिंग सेंटर को मिलेगा। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में कोटा में कोचिंग सेंटर्स की हालत खस्ताहाल है। इस मामले में देरी के जाने से कोचिंग और हॉस्टल इंडस्ट्री को एक और बड़ा झटका लगेगा।
कोटा में 3000 हॉस्टल्स और 2000 से ज्यादा पीजी हैं। इसके कारण कोटा का आर्थिक पहिया जाम हो चुका है। कोटा में हर साल करीब 1,65,000 स्टूडेंट्स कोचिंग के लिए आते हैं। 15000 लोगों की नौकरी सिर्फ हॉस्टल के कारण जा चुकी है। पीजी और मैंस के कर्मचारियों को जोड़ा जाए तो आंकड़ा डराने वाला हो जाता है। कोटा में सभी छोटी-बड़ी कोचिंग में कुल 5000 फैकेल्टी और 5000 से ज्यादा कर्मचारी हैं। जो बीते कई महीनों से आधी या उससे भी कम सैलरी पर गुजारा कर रहे हैं, जल्द ही कोचिंग संस्थान नहीं खोले गए तो हालात भयावह हो सकते हैं।
हर्षवर्धन शर्मा(मार्मिक धारा)