राजस्थान में बेकाबू होते कोरोनावायरस ने सरकार के साथ ही जनता का भी सुख-चैन छीन लिया है। सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में व्यवस्थाएं चरमरा गई है। ऑक्सीजन और वैक्सिन की कमी ने दावों की पोल खोल कर रख दी है। जिस रफ्तार से एक्टिव केस बढ़ रहे हैं, उसी रफ्तार से रिकवरी रेट नीचे आ रहा है।
जयपुर की बात करें तो यहां निजी अस्पतालों में इस जीवन रक्षक इंजेक्शन की डोज नाम मात्र की रह गई है। गुरुवार को ड्रग कंट्रोल यूनिट के अधिकारियों ने जब शहर के 2 बड़े निजी अस्पतालों में दौरा कर वहां के इंजेक्शन का स्टॉक देखा तो उनके भी होश उड़ गए। इन दो बड़े अस्पतालों में इंजेक्शन के केवल 11 डोज ही मिले। जबकि यहां डेढ़ सौ से ज्यादा मरीज भर्ती हैं।
निजी अस्पताल संचालकों के समूह ने गुरुवार को जिला कलेक्टर को बताया कि शहर के अधिकांश अस्पतालों में ऑक्सीजन डेढ़ दिन के लिए ही बची है। इससे ना केवल कोविड मरीजों बल्कि दूसरे अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों के लिए भी खतरा बढ़ गया है। वहीं निजी अस्पतालों में अब बेड भी लगभग फुल हो चुके हैं। सरकारी कोविड अस्पताल आर यू एच एस और जयपुरिया अस्पताल में भी मरीजों को बेड उपलब्ध नहीं हो रहे हैं।
अजमेर की बात करें तो अब कमेटी तय करेगी कि मरीज को भर्ती करना है या नहीं। अजमेर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जेएलएन में स्थिति बेहद खराब होती जा रही है। हर रोज मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। और लगभग 2300 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत प्रतिदिन हो रही है। ऐसे में बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने एक कमेटी बनाई है। जो यह तय करेगी कि निजी अस्पतालों से आने वाले मरीजों को भर्ती किया जाए या नहीं।
वही कोटा में भी हालत बेकाबू हो गए हैं। यहां तमाम सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड फुल हो चुके हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कोटा के कोविड अस्पतालों में तो पिछले 3 दिनों से मरीजों को भर्ती करना भी बंद कर दिया है। कहां जा रहा है कि अस्पतालों में ना बेड है, ना आक्सीजन। कोई जमीन पर तो कोई स्ट्रक्चर पर लेट कर अपना इलाज करवा रहा है। यहां सभी 9 कोविड अस्पताल भी फुल हो चुके हैं।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)