नागपुर में कोरोना पॉजिटिव पति पत्नी ने इलाज के लिए 198 अस्पतालों का दरवाजा खटखटाया। लेकिन किसी ने भर्ती नहीं किया। मजबूरी में उन्हें 65 हजार रुपए खर्च कर एंबुलेंस से नागपुर से सूरत पहुंचना पड़ा। यहां के आइसोलेशन सेंटर में 10 दिन इलाज के बाद में पूरी तरह ठीक हो गए।
मूल रूप से यूपी के प्रयागराज निवासी और फिलहाल नागपुर में रहने वाले बृजेश कुमार त्रिपाठी और उनकी पत्नी अनुपमा कि 2 हफ्ते पहले तबीयत खराब हो गई थी। अप्रैल में दोनों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। अनुपमा का ऑक्सीजन लेवल लगातार कम हो रहा था। फेफड़ों में 60% तक कोरोना का असर था। नागपुर के किसी भी अस्पताल में दंपत्ति को बेड नहीं मिला।
दोनों पति-पत्नी ने नागपुर के 198 अस्पतालों के चक्कर लगाए। पर ईलाज नहीं मिला। कई अस्पताल तो फाइल देखकर ही निकाल देते थे। उनके पास दूसरा अन्य कोई विकल्प नहीं था। सूरत में रहने वाले बहनोई ने बृजेश से बात की। उसके बाद बहनोई ने परवत गांव में नमो कोविड आइसोलेशन सेंटर चलाने वाले दिनेश पुरोहित से बात की, तो उन्होंने सूरत लाने के लिए कहा। फिर बृजेश अपनी पत्नी के साथ एंबुलेंस में ऑक्सीजन के साथ नागपुर से सूरत पहुंचे।
स्वस्थ होने के बाद अनुपमा त्रिपाठी ने कहा कि अब वे इस आइसोलेशन सेंटर में दूसरे मरीजों की सेवा करना चाहती हैं। वही बृजेश ने बताया कि वे 13 घंटे में 750 किलोमीटर की दूरी तय कर 18 अप्रैल को सूरत आए थे। अनुपमा का ऑक्सीजन लेवल लगातार घट रहा था। ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं होता तो लेवल और नीचे आ जाता। नमो आइसोलेशन सेंटर में उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन भी दिया।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)