आपने अक्सर देखा होगा खासकर महिलाएं रोटी पकाने से पहले जब आटा गूंथतीं हैं तो अंत में उस पर उंगलियों से कुछ निशान बना देती हैं और फिर कई महिलाएं अपने हाथ में लगा हुआ आटा, गूथे हुए आटे पर चिपकाती हैं।
दरअसल इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है बल्कि हमारी एक प्राचीन मान्यता है। हिंदुओं में पूर्वजों एवं मृत आत्माओं को संतुष्ट करने के लिए पिंड दान की विधि बताई गई है। पिंडदान के लिए जब आटे की लोई (जिसे पिंड कहते हैं) बनाई जाती है तो वह बिल्कुल गोल होती है। इसका आशय होता है कि यह गूंथा हुआ आटा पूर्वजों के लिए है। मान्यता है कि इस तरह का आटा देखकर पूर्वज किसी भी रूप में आते हैं और उसे ग्रहण करते हैं।
यही कारण है कि जब मनुष्यों के ग्रहण करने के लिए आटा गूंथा जाता है तो उसमें उंगलियों के निशान बना दिए जाते हैं। यह निशान इस बात का प्रतीक होते हैं कि रखा हुआ आटा, लोई या पिंड पूर्वजों के लिए नहीं बल्कि इंसानों के लिए है।
प्राचीन काल में महिलाएं प्रतिदिन एक लोई पूर्वजों के लिए, दूसरी गाय के लिए, तीसरी कुत्ते के लिए निकालती थी। घर में अनेक महिलाएं होती थी उंगलियों का निशान लगाने से पता चल जाता था कि इन्सानों के लिए गूँधा हुआ आटा कौनसा है।
भानु प्रकाश शर्मा (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)