Home Uncategorized चित्तौड़ के प्रसिद्ध सांवलियाजी मंदिर के भंडारे में अब तक मिले 6.17 करोड रुपए

चित्तौड़ के प्रसिद्ध सांवलियाजी मंदिर के भंडारे में अब तक मिले 6.17 करोड रुपए

by marmikdhara
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  • बचे हुए नोट और सिक्कों की गिनती शुरू हुई, पिछले 1 महीने में आई इतनी बड़ी दान राशि।
    कृष्णधाम सांवलियाजी मंदिर के भंडारे में भेंट की गई राशि की गिनती गुरुवार को भी जारी रही। आज गिनती सुबह 11:15 बजे भगवान की आरती के बाद शुरू हुई।। अनुमान है कि शाम तक बचे हुए नोटों की गिनती पूरी कर ली जाएगी।
    बता दें कि बुधवार को भंडारे की भेंट राशि खोली गई थी। पहले दिन इसमें रिकॉर्ड 6 करोड़ 17 लाख 12 हजार 200 रूपए भेंट की राशि निकली। गुरुवार को शेष बचे हुए नोटों की गिनती जारी है। गिनती के लिए परिसर में मंदिर प्रशासन समेत दो से तीन बैंक कर्मचारियों की भी मदद ली जा रही है।
    1 महीने पहले भी निकले थे 4 करोड़ 54 लाख रुपए-
    कोरोना काल में चौथी बार खोले गए भंडारे की राशि रिकॉर्ड प्राप्त हुई है। कर्मचारियों ने एक ही दिन में 6 करोड से भी अधिक रूपयों की गणना करके रिकॉर्ड बनाया। पिछले महीने खोले गए भंडार से चार करोड़ 54 लाख रुपए निकले थे।
    सांवलियाजी मंदिर में बुधवार को राजभोग आरती के बाद भंडार खोला गया। विशेष शृंगार किया। कोरोनावायरस के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश बदं रहा। गुरुवार को भी श्रद्धालुओं के लिए दर्शन बंद रहेंगे। सांवलिया जी मंदिर मंडल अध्यक्ष कन्हैयादास वैष्णव एवं एडीएम व मंदिर मंडल सीईओ रतन कुमार स्वामी की मौजूदगी में भंडार खोल कर गणना की गई। सुरक्षा प्रभारी राम सिंह टीम व पुलिस जाब्ता तैनात रहा। ओसरा पुजारी कमलेश वैष्णव तथा गोविंद वैष्णव ने भगवान को गंगाजल से स्नान करवा, विशेष श्रृंगार किया।भंडारे के भेंट में आने वाली राशि हर अमावस्या की चतुर्दशी पर खोली जाती है। जिससे मंदिर में होने वाली भगवान की राजभोग आरती के बाद ही खोला जाता है। साथ ही भंडारे में मिली राशि मंदिर विकास के लिए खर्च की जाती है‌ मंदिर का बोर्ड बना हुआ है। चित्तौड़गढ़ एसडीएम इस बोर्ड के सीईओ हैं। साथ ही मंदिर बोर्ड द्वारा गौशाला का भी संचालन किया जाता है। जिसमें पैसा खर्च किया जाता है‌। मंदिर के लिए 500 कर्मचारियों का स्टाफ है। बाकी बचे हुए रूपए धर्मशाला में लगाए जाते हैं।
    मंदिर करीब 2 सदी पुराना है। इसका विकास आसपास के गांव के लोगों ने ही किया है। मान्यता है कि एक ग्वाले को सपने में सांवलियाजी की मूर्ति के दर्शन हुए थे। उसी स्थान पर खुदाई कर प्रतिमा को बाहर निकाला और अपने घर में स्थापित किया।

अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)

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