भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। इसे अजा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के उपेंद्र रूप की पूजा आराधना की जाती है। इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। और अंत में व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है।
एकादशी व्रत कैसे करें।
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठें। फिर घर की साफ सफाई करें। साफ सफाई के बाद घर में गोमूत्र का छिड़काव करें। नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर नहाऐं। इससे घर बैठे ही पवित्र नदी में नहाने का फल मिल जाता है। दिनभर नियम और संयम के साथ रहते हुए रात्रि में जागरण और भगवान विष्णु के भजन कीर्तन करने की परंपरा है।
भगवान की पूजा विधि।
घर में पूजा स्थान पर या पूर्व दिशा में किसी साफ जगह पर गोमूत्र छिड़ककर वहां गेहूं रखें। फिर उस पर तांबे का लोटा यानी कलश रखें। लोटे को जल से भरे। उस पर अशोक के पत्ते रखें। फिर उस पर नारियल रख दें। इस तरह कलश स्थापना करें। फिर कलश पर या कलश के पास विष्णु भगवान की पूजा करें और दीपक जलाएं। इसके बाद पूरे दिन व्रत रखें। अगले दिन कलश हटा ले। फिर उस कलश के पानी को पूरे घर में छिड़क दें। बचा हुआ पानी तुलसी में डाल दें।
इस एकादशी के व्रत का फल।
अजा एकादशी पर जो कोई भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखता है। उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस पृथ्वी काशी की कथा सुनने मात्र से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। इस व्रत को करने से ही राजा हरिश्चंद्र को अपना राज्य वापस मिल गया और मृत पुत्र रोहित फिर से जीवित हो गया।
विकास शर्मा (मार्मिक धारा)