भरतपुर, पाठकों आप लोगों से एक बात कहना चाहते हैं। कितनी भी बड़ी समस्या हो, यदि आप उसके विरुद्ध आवाज उठाते हैं तो एक न एक दिन आप जरुर सफल होंगे। जिंदल हॉस्पिटल लगाकर सैकड़ों मरीजों को लूट रहा था। लेकिन कुछ मरीजों के हौसले के बदौलत जिन्होंने जिंदल हॉस्पिटल की इस व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाने की कोशिश की। फिर धीरे-धीरे सभी मरीज जुड़ते चले गए। इन मरीजों ने मीडिया में, पत्रकार प्रेस महासंघ तथा प्रशासन में भी शिकायत की। प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया। पत्रकार प्रेस महासंघ के द्वारा सभी पत्रकारों से इस मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित करने के लिए आग्रह किया। तथा सभी पत्रकारों ने इस मुद्दे को फ्रंट पेज पर प्रकाशित किया। जिसका पत्रकार प्रेस महासंघ आभारी हैं। लगातार जिंदल हॉस्पिटल को मीडिया के द्वारा एक मुख्य मुद्दे के रूप में बताया गया।
दूसरी तरफ विपक्ष की सांसद रंजीता कोली ने कोविड काल में स्वयं दिल्ली जाकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को ज्ञापन दिया। तथा इस मुद्दे को प्रमुखता से लेने के लिए आग्रह किया। केंद्र के द्वारा एक्शन लेने पर जिंदल हॉस्पिटल तथा प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा। जिंदल हॉस्पिटल में सरकारी वेटिलेटर को लौटाया। मरीजों से ली गई 9000 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से 162,000रूपये लौटाए ।
इसी मामले को कोर्ट में मीडिया रिपोर्टों के आधार पर पीएलआर दाखिल की गई।इस प्रकार कोर्ट के जरिए भी इस मामले को उठाया गया। इस प्रकार चारों तरफ से अपने आप को घिरते हुए देख आखिर में हॉस्पिटल ने यह निर्णय लिया।
यह है पूरा घटनाक्रम।
अप्रैल माह में पीएम रिलीफ फंड से मिले वेंटिलेटर को जिला प्रशासन के निर्देश पर शहर के जिंदल हॉस्पिटल को दिया गया था। प्रशासन की मेहरबानी से निजी अस्पताल में इन वेंटिलेटरो का उपयोग कर मरीजों से मनमर्जी के दाम वसूल रहा था। जबकि यह वेंटिलेटर पीएम रिलीफ फंड से गरीब मरीजों के लिए लाए गए थे। दिलचस्प बात यह है कि यह सब चिकित्सा राज्यमंत्री की नाक के नीचे हुआ। इसमें बताया गया है कि आला दर्जे के अफसरों के चहेतो का इस निजी अस्पताल में उपचार चला। इस अहसान के बदले में निजी हॉस्पिटल को सरकारी वेंटिलेटर उपलब्ध करा दिए गए। लगातार मीडिया में यह खबर सुर्खियों पर चलने पर तथा केंद्र का हस्तक्षेप होने पर तथा मामला तूल पकड़ने के बाद निजी अस्पतालों का निरीक्षण किया गया। इसमें भी खामियां सामने आई। लेकिन अफसर इन्हें दबाते हैं। सरकारी दर की सूची तक नहीं मिलने के बाद भी अस्पताल के खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई है। विपक्ष के द्वारा केंद्र में की गई शिकायत तथा कोर्ट में दायर पीआईएल के दबाव में जिंदल हॉस्पिटल ने 10 में से 5 वेंटीलेटर लौटाएं है। सूत्रों के अनुसार जिंदल हॉस्पिटल ने 25000 से 35000 के बीच में मरीजों से वसूले हैं। लेकिन उन्होंने जो राशि मरीजों को वापस की है वह 9000 प्रतिदिन की दर से है। जोकि 1,62,000रूपये रूप में वापस दी है। अभी भी प्रशासन पूरी राशि नहीं वसूल पाया। क्योंकि हॉस्पिटल में निरीक्षण में अस्पताल की दर से संबंधित कोई सूची नहीं मिली। केंद्र के द्वारा ऑडिट होने पर ही सारा मामला सामने आएगा।
इसलिए पाठकों यदि आपके खिलाफ कोई अत्याचार हो रहा है। तो उसे सामने लाने की कोशिश कीजिए। क्योंकि अत्याचार सहना भी एक अपराध है। मार्मिक धारा न्यूज़पेपर आपके साथ है। इसी के साथ लेख का समापन करते हुए। पत्रकार प्रेस महासंघ इस घटना से संबंधित सभी मीडिया कर्मियों का आभार व्यक्त करता है। भविष्य में इसी तरीके से इस संगठन के द्वारा सभी समस्याओं का समाधान किया जायेगा।
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)
जयपुर जिला अध्यक्ष (पत्रकार प्रेस महासंघ)