ओलंपिक के खिलाड़ियों में 74 परसेंट मिडिल और 55 परसेंट जनरल वर्ग के हैं । कई प्लेयर्स जिनके माता-पिता खेतीहर झाड़ू पोछा लगाने वाले हैं। कई लोग महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया और बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु की गूगल पर जाति सर्च करते रहे।
हालांकि कई उपद्रवी लोग वंदना कटारिया के घर पहुंच गए । उनकी जाति को गाली देने लगे और कहने लगे कि दलितों के कारण हम हार गए लेकिन यह सोच पूर्णता गलत है। क्योंकि कोई भी खिलाड़ी मैदान में अपने लिए नहीं खेलता वह तो पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता है और अपना 100% समर्पित करता है। फिर वह किसी भी जाति या धर्म का हो।
पंजाब हरियाणा चंडीगढ़ की 52 खिलाड़ियों में से 90% से ज्यादा जाट है जो फिलहाल जनरल वर्ग में आते हैं। लेकिन वे खुद को पिछड़ा वर्ग में लाने की लड़ाई कोर्ट में लड़ रहे हैं।
आइए ओलंपिक में आठ खिलाड़ियों का सामाजिक स्तर जानते हैं:-
1-हरियाणा के एथलीट संदीप कुमार के पिता गांव में बकरी चराते हैं और दूसरे के खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं।
2:-हरियाणा की हॉकी प्लेयर नेहा गोयल की मां ने लोगों के घरों में झाड़ू पहुंचा करके तीन बेटियों को पाला उनके पास गांव में 50 गज का मकान है।
3:-हरियाणा की कुश्ती खिलाड़ी दीपक पुनिया के पिता लोगों के घर दूध पहुंचाते है।
4:- हॉकी कप्तान रानी रामपाल के पिता पहले घोड़ा गाड़ी चलाते थे हालांकि अब नहीं चलाते हैं।
5:-हरियाणा की हॉकी प्लेयर निशा वारसी के पिता दर्जी है। कपड़े सिलते हैं उनसे जो पैसे मिलते हैं। उसी से घर चलाते हैं और उसी पैसे से हॉकी का सामान जुटा कर देते हैं।
6:-हरियाणा की शूटिंग के खिलाडी संजीव राजपूत के पापा फास्ट फूड की रेहडी लगाते थे। उन्हें पापा अपनी रेहडी की कमाई से पैसे देते थे। हालांकि आप रेहडी लगाना बंद कर दीया है।
7:- राजस्थान के एथलीट भावना जाट रेलवे में नौकरी करते हैं। लेकिन उन्हें ओलंपिक में लीव विदाउट पे यानी बिना सैलरी की जॉब पर रहना पड़ा। उनके भाई व पिता अक्सर बीमार रहते हैं।
8:- मेडल विजेता मणिपुर निवासी मीराबाई चानू के पापा दूसरों के खेत में हल चलाते हैं। लेकिन अब हालत सही हो गई है।
127 खिलाड़ियों की लिस्ट में आरीवन लाहिरी ऐसे खिलाड़ी हैं। जो अमेरिका के फ्लोरिडा में रहते हैं। 128 खिलाड़ियों में से 50 खिलाड़ी सिर्फ हरियाणा ,पंजाब से संबंधित हैं गुजरात, मध्य प्रदेश से 22 खिलाड़ी हैं।
विकास शर्मा (मार्मिक धारा)