1) कमर का दर्द (backache):
10 ग्राम अजवायन, 5 ग्राम सौंफ तथा 10 ग्राम तेजपत्ता इन सब को कूट-पीसकर 1 लीटर पानी में उबालें। जब यह 100 ग्राम रह जाए तब इसे ठंडा करके पीएं इससे शीत लहर के कारण उत्पन्न कमर का दर्द ठीक हो जाता है।
2) मोच(sprain) :
तेजपत्ता और लौंग को एक साथ पीसकर बना लेप बना लें। इस लेप को मोच वाले स्थान पर लगाएं इससे धीर-धीरे सूजन दूर हो जाती है और मोच ठीक हो जाता है।
3) मधुमेह (शूगर) का रोग(diabetes):
तेजपत्ता के पत्तों का चूर्ण 1-1 चुटकी सुबह, दोपहर तथा शाम को ताजे पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है।
) पेट के कीड़े :
तेजपत्ता और जैतून के तेल को मिलाकर गुदाद्वार पर लगाने से पेट के कीड़े मर कर बाहर निकल जाते हैं।
5) अपच (indigestion):
तेजपत्ता (तेजपात) का पीसा हुआ चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह और शाम सेवन करने से पेट की गैस तथा अपच (भोजन का न पचना) की समस्या दूर हो जाती है।
6) नाक के रोग :
लगभग 250 मिलीग्राम से 600 मिलीग्राम तक तेजपत्ता का चूर्ण सुबह और शाम खाने से और इसके फल के काढ़े से रोजाना 2-3 बार नाक को धोने से नाक के रोग ठीक हो जाते हैं।
7) मानसिक उन्माद (पागलपन) :
तेजपत्ता को पानी के साथ पकाकर खाने से सर्दी के कारण हुआ पागलपन दूर हो जाता है।
8) बच्चो के रोग
• 2 से 3 ग्राम तेजपत्ता के चूर्ण को अदरक के रस और शहद के साथ बच्चो को खिलाने से बच्चों को होने वाले सभी रोगों में लाभ मिलता है।
• लगभग 3 ग्राम तेजपत्ता (तेजपात) का चूर्ण बच्चों को सुबह-शाम देने से बच्चें के सभी प्रकार के रोग ठीक हो सकते हैं।
दोषों को दूर करने वाला : मस्तगी और बिही का शर्बत तेजपत्ते के दोषों को दूर करता है।
9) सर्दी-जुकाम :
• चाय पत्ती की जगह (स्थान) तेजपत्ता के चूर्ण की चाय पीने से छीकें आना, नाक बहना, जलन, सिर दर्द दूर होता है।
• तेजपत्ता की छाल 5 ग्राम और छोटी पिप्पली 5 ग्राम को पीसकर 2 चम्मच शहद के साथ चटाने से खांसी और जुकाम नष्ट होता है।
• 1 से 4 ग्राम तेजपत्ता के चूर्ण को सुबह और शाम गुड़ के साथ खाने से धीरे-धीरे जुकाम ठीक हो जाता है।
10) सिर की जुंए :
तेजपत्ता के 5 से 6 पत्तों को 1 गिलास पानी में इतना उबालें कि पानी आधा रह जाये और इस पानी से प्रतिदिन सिर में मालिश करने के बाद स्नान करना चाहिए। इससे सिर की जुंए मरकर निकल जाती हैं।
11) आंखों के रोग :
तेजपत्ते को पीसकर आंख में लगाने से आंख का जाला और धुंध मिट जाती है। आंख में होने वाला नाखूना रोग भी इसके प्रयोग से कट जाता है।
12) रक्तस्राव (खून का बहना)
नाक, मुंह, मल व मूत्र किसी भी अंग से रक्त (खून) निकलने पर ठंडा पानी 1 गिलास में 1 चम्मच पिसा हुआ तेजपत्ता मिलाकर हर 3 घंटे के बाद से सेवन करने से खून का बहना बंद हो जाता है।
13) दांतों पर मैल जमना:
सूखे तेज पत्तों को बारीक पीसकर हर तीसरे दिन मंजन करना चाहिए। इसके उपयोग से दांत मोतियों की तरह चमकने लगते हैं।
14) दमा (श्वास) :
• तेजपत्ता और पीपल को 2-2 ग्राम की मात्रा में अदरक के मुरब्बे की चाशनी में छिड़ककर चटाने से दमा और श्वासनली के रोग ठीक हो जाते हैं।
• सूखे तेजपत्ता का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में 1 कप गरम दूध के साथ सुबह-शाम को प्रतिदिन खाने से श्वास और दमा रोग में लाभ मिलता है।
15) खांसी :
• लगभग 1 चम्मच तेजपत्ता का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है।
• तेजपत्ता की छाल और पीपल को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर उसमें 3 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से खांसी में आराम मिलता है।
• तेजपत्ता (तेजपत्ता) का चूर्ण 1 से 4 ग्राम की मात्रा सुबह-शाम शहद और अदरक के रस के साथ सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है
• तेजपत्ता (तेजपत्ता) की छाल का काढ़ा सुबह तथा शाम के समय में पीने से खांसी और अफारा दूर हो जाता है।
• 60 ग्राम बिना बीज का मुनक्का, 60 ग्राम तेजपत्ता, 5 ग्राम पीपल का चूर्ण, 30 ग्राम कागजी बादाम या 5 ग्राम छोटी इलायची को एकसाथ पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके बाद इस चूर्ण को गुड़ में मिला दें। इसमें से चुटकी भर की मात्रा लेकर दूध के सेवन करने से खांसी आना बंद हो जाता है।
16) अफारा (पेट फूलना) :
• तेजपत्ते का काढ़ा पीने से पसीना आता है और आंतों की खराबी दूर होती है जिसके फलस्वरूप पेट का फूलना तथा दस्त लगना आदि में लाभ मिलता है।
• तेजपत्ता का चूर्ण 1 से 4 ग्राम की मात्रा सुबह और शाम पीने से पेट में गैस बनने की शिकायत दूर होती है।
17) भूख न लगना :
तेजपत्ता का रायता सुबह-शाम सेवन करने से अरुचि (भूख न लगना) दूर होती है।
18) उबकाई:
तेजपत्ता का चूर्ण 2 से 4 ग्राम फांकने से उबकाई मिटती है।
19) पीलिया और पथरी :
प्रतिदिन पांच से छ: तेजपत्ते चबाने से पीलिया और पथरी नष्ट हो जाती है।
20) प्रसव का दर्द :
तेजपत्ता की धूनी देने से स्त्री को प्रसव के समय होने वाला दर्द में आराम मिलता है।
21) गर्भाशय शुद्धि के लिए :
• तेजपत्ता का बारीक चूर्ण 1 से 3 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय शुद्ध होता है।
• तेजपत्ता को पानी में डालकर उबालें। जब पानी हल्का गर्म रहे तब उस पानी को किसी टब आदि में डालकर उसमें बैठ जाए इससे गर्भाशय का दर्द (पीड़ा) ठीक होता है।
• प्रसूता (बच्चें को जन्म देने वाली महिला) को तेजपत्ता का काढ़ा लगभग 50 मिलीग्राम सुबह-शाम पिलाने से उसके शरीर में खून से सम्बंधित दोष तथा गर्भाशय के अन्य विकार नष्ट हो जाते हैं और गर्भाशय शुद्ध हो जाता है।
22) गर्भाशय की शिथिलता के कारण यदि बार -बार या लगातार रक्तस्राव हो रहा है तो तेजपत्ता का चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से गर्भाशय की शिथिलता दूर हो जाती है और रक्त प्रदर नष्ट हो जाता है।
23) वायुगोला :
तेजपत्ते की छाल का चूर्ण 2 से 4 ग्राम फांकने से पेट में वायु का गोला बनने की समस्या दूर हो जाती है।
24) जोड़ों के दर्द :
तेजपत्ते को जोड़ों पर लेप करने से संधिवात ठीक हो जाता है।
भानु प्रकाश शर्मा (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)