Wednesday, April 9, 2025
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परिश्रम सफलता की कुंजी है।

by marmikdhara
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मानव जीवन में परिश्रम बहुत आवश्यक है। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। परिश्रम द्वारा छोटे से छोटा मनुष्य बड़ा बन सकता है। परिश्रम के द्वारा सभी कार्य सम्भव हैं। यदि मनुष्य कोई भी काम कठोर परिश्रम एवं दृढ़ संकल्प लेकर करता है तो वह उस काम में सफलता अवश्य पाता है।

जीवन के प्राचीन युग से लेकर आधुनिक युग तक ग्राम-नगरों का विकास, अनेक उपकरणों एवं मशीनों का शिल्प लेकर वायुयान तक का निर्माण परिश्रम द्वारा ही सम्भव हुआ है। संसार में मानव अधिक परिश्रम कर अपनी तकदीर बदल सकता है।

विभिन्न अर्थशास्त्रिष्यों एवं इतिहासकारों द्वारा परिश्रम को ही जीवन का सार माना गया है। संसार की किसी भी वस्तु का निर्माण परिश्रम बिना सम्भव नहीं है। परिश्रमी व्यक्ति को दूसरों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होती, वह अपना कार्य स्वंय कर लेते हैं।

आज मानव ने परिश्रम के द्वारा संसार में स्वर्ग उतारने की कल्पना को साकार कर दिया हैं | कठोर परिश्रम करके ही मानव ने अनेक आविष्कार किये हैं जो मानव जीवन में बहुत उपयोगी हैं। मनुष्य के मनोरंजन ने दूरदर्शन, सिनेमा, मोबाइल, कम्प्यूटर एवं अनेक प्रकार के मनोरंजन के साधनों का आविष्कार किया है। ये सब केवल परिश्रम द्वारा ही सम्भव हो सकता है। यदि मानव परिश्रम नहीं करेगा तो वह सरल से सरल काम को भी कठिनाई से पूर्ण करेगा। परिश्रमी मनुष्य कभी भी भूखा नहीं रह सकता। परिश्रमी व्यक्ति के लिए सफलता उसकी दासी के रूप में होती है।

परिश्रम ही मानव जीवन की सफलता की कुंजी है। आज जितने भी बड़े-बड़े उधोगपति, राजनेता, अभिनेता, हैं वे सभी कठोर परिश्रम करके ही सफल हुए हैं, वे दिन-रात मेहनत एवं परिश्रम करते हैं और यह उनके परिश्रम का ही नतीजा है कि आज वे पूरे संसार में प्रसिद्व हैं, बड़ी-बड़ी उपलब्धियां प्राप्त कर रहे हैं।

हमें किसी भी काम को कठिन नहीं समझना चाहिये। यदि हममें परिश्रम करने की क्षमता है तो हम जटिल से जटिल काम सरलता से कर सकते हैं। परिश्रम के द्वारा मानव अपने में नये जीवन का संसार कर सकता है। अतः परिश्रम का महत्व अद्भुत तथा अनोखा है।

मानव जीवन का विकास- परिश्रम द्वारा मानव जीवन का विकास सम्भव है। प्राचीन काल में मानव का शरीर बन्दर जैसा था। वह अपने खाने तथा जीविका को चलाने के लिए निरन्तर परिश्रम करता रहता रहा। धीरे-धीरे मानव का विकास हुआ और वह कठोर परिश्रम कर एक दिन जानवर सीधा होकर सिर्फ पैरों के सहारे चलने लगा। इस सिद्वान्त का प्रतिपादन महान् वैज्ञानिक डार्विन ने तय किया है। परिश्रम द्वारा ही गुफाओं की दुनिया से निकलकर वह पेड़ों पर विचरण करते हुए जीविका की खोज में आगे बढ़ा। टोली बनाकर रहने लगा और अपनी अधिक प्रगति के लिए वह खेती करने लगा। रहने के लिए घर बनाने लगा, छोटी-छोटी वस्तुओं का निर्माण करने लगा। आज नगरों में जो सभ्यता एवं संस्कृति दिखलाई पड़ती है, वह सब परिश्रम द्वारा सम्भव हुई है। जापान संसार के विकासशील देशों मे इसलिए गिना जाने लगा है क्योंकि वहां के लोग संसार के सबसे अधिक परिश्रमी होते हैं।
परिश्रम की उपयोगिता- मानव जीवन में परिश्रम बहुत उपयोगिता रखती है। परिश्रम को अपनाकर ही मानव आसमान की बुलंदियों को अवश्य छूता है।

मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिश्रम उपयोगी है। चित्रकार या मूर्तिकार कम परिश्रम नहीं करता है। वह एक मूर्ति का निर्माण करने में, उसको आकार देने में रात-दिन एक कर देता है। तब कहीं जाकर वह जिस मूर्ति का निर्माण करता है, उसमे सफल होता है। वह प्रसिद्व मूर्तिकार कहलाता है।

किसान भी कड़ी धूप एवं चिलचिलाती गर्मी में कृषि का अत्यधिक परिश्रम करता है और उसी के परिश्रम का फल पूरे संसार को मिलता है। महात्मा गाँधी परिश्रमी जीवन को सच्चा जीवन मानते थे। अतः जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम का अत्यधिक योग एवं महत्व है। व्यापारी और उधोगपति दिन-रात परिश्रम करके बरसों में धनवान और उधोगपति बन जाते हैं तब जाकर दुनिया उनकी ओर देखती है। उनसे उनकी सफलता का राज पूछा जाता है तो वे एक ही वाक्य कहते हैं- कठिन परिश्रम।

परिश्रम- साहित्य के क्षेत्र में- आज विश्व मे साहित्य की जितनी भी सफलता एंव उपलब्धि हैं वह परिश्रम द्वारा ही सम्भव हुई हैं। महाकवि तुलसीदास ने दिन-रात परिश्रम कर प्रसिद्व धार्मिक ग्रन्थ ‘रामचरितमानस‘ की रचना की। इसी प्रकार कालीदास ने कठोर परिश्रम द्वारा ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्‘ की रचना की थी।

संस्कृत साहित्य का विशाल ग्रन्थ ‘महाभारत‘ भी अनेक वर्षों तक किये गये परिश्रम का ही फल है।
पाश्चात्य विद्वाप एवं कोशाकार वेबस्टर ने अंग्रेजी शब्दकोष का निर्माण करने में अनेक वर्षों तक कठिन परिश्रम किया और अन्त में अपने कार्य में सफलता प्राप्त की।

इस प्रकार परिश्रम ही मानव जीवन की सफलता की कुंजी है। हमें निरन्तर करते रहना चाहिये तभी हमें अच्छे फल की प्राप्ति होगी।

यदि हमें दूसरों की सफलता देखनी है तो इस बात को पहले देखना चाहिये कि उनकी इस सफलता के पीछे उनका परिश्रम लगा हुआ है। परिश्रम को देखकर सफलता का आकंलन हम करने लगें तो खुद भी प्रेरित होकर उतना ही परिश्रम करके वैसा ही सफल होने की हिम्मत जुटा सकते हैं।

भानु प्रकाश शर्मा (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)

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