आजादी के इतने साल बाद भी गांव में उच्च – नीच और जातिवाद हावी है। उदयपुर में ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां एक दलित दूल्हे को शादी में घोड़ी से उतारने के डर से परेशान देखा गया। जबकि दलित दूल्ला खुद कॉन्स्टेबल है। पुलिस कॉन्स्टेबल होने के बावजूद उसे डर था कि गांव के दबंग लोग उसे घोड़ी से नीचे उतार देंगे। इसलिए उसने पुलिस प्रोटक्शन में बारात निकाली और शादी की रस्मों को पूरा किया।
मामला उदयपुर जिले के गोगुंदा थाना क्षेत्र के राव मादड़ा गांव का है। यहां पुलिस कॉन्स्टेबल कमलेश मेघवाल की शादी पुलिस प्रशासन के पहरे में आयोजित हुई। शादी से पहले ही दूल्हे कमलेश ने पुलिस अधीक्षक डॉ राजीव से शादी में सुरक्षा की गुहार लगाई थी। इस पर शादी के दौरान डिप्टी एसपी, नायाब तहसीलदार सहित दो थानों की फोर्स को तैनात किया गया।
दूल्हे कमलेश के भाई दुर्गेश ने बताया कि गांव में दलित समाज के लोगों को घोड़ी पर बैठ के बिंदोली नहीं निकालने दी जाती है। इससे पहले भी गांव में कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी है। जब दलित दूल्हे को बिंदोली के वक्त धोड़ी से उतार दिया गया। इसकी वजह से शादी से पहले ही पुलिस और प्रशासन की मदद मांगी गई थी। जिनकी देखरेख में शादी की रस्मों को पूरा कर लिया गया।
गांव रावमांदडा के ग्रामीणों का कहना है कि सुरक्षा व्यवस्था देना पुलिस का काम है। फिर भी इससे उनके गांव का अपमान हुआ है। गांव में कभी भी किसी भी जाति के दूल्हे को घोड़ी से उतारना तो दूर अपमान तक नहीं किया गया। उपसरपंच योगेंद्र सिंह राव ने कहा कि हमारे गांव में सांप्रदायिक सौहार्द का वातावरण है। पहले कभी किसी जाति विशेष के साथ इस तरह की हरकत नहीं की गई है। सिर्फ पुलिसिया रौब झाड़ने और पब्लिसिटी पाने के लिए दूल्हे कमलेश ने गांव की छवि को धूमिल कर दिया।
उपखंड अधिकारी नीलम ने कहा कि कमलेश को धोड़ी से उतारने का डर था। इसे लेकर उसने पुलिस और प्रशासन से सुरक्षा मांगी थी। फिलहाल कमलेश की शादी की सभी रस्मों को शांतिपूर्ण तरीके से पूरा कर लिया गया है ।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)