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- सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ मामला बंद किया-
- सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। यह महिला 2018 में जस्टिस गोगोई के आवास पर बतौर जूनियर कोर्ट असिस्टेंट पदस्थ थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में खुद के नोटिस पर शुरू की गई सुनवाई को बंद कर दिया है। अदालत ने कहा कि केस को 2 साल बीत चुके हैं। और साजिश की जांच में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड हासिल करने की संभावना बहुत कम रह गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील उत्सव बैंस ने जस्टिस गोगोई पर लगी यौन उत्पीड़न के आरोपों के पीछे साजिश होने का दावा किया था।
जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले में 1 साल 9 महीने बाद गुरुवार को सुनवाई शुरू की थी। कोर्ट ने यह फैसला पूर्व जस्टिस एके पटनायक की रिपोर्ट के आधार पर किया। उन्हें साजिश की जांच करने का काम सौंपा गया था।
अदालत ने कहा कि जस्टिस पटनायक की रिपोर्ट में साजिश को स्वीकार किया गया है। और इसे खारिज नहीं किया जा सकता। दरअसल, जस्टिस गोगोई ने सीजेआई रहते हुए कुछ कड़े फैसले लिए, जो साजिश को बल देते हैं। रिपोर्ट में इंटेलिजेंस ब्यूरो के इनपुट का हवाला भी है। इसमें बताया गया कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स को आगे बढ़ाने की वजह से कई लोग जस्टिस गोगोई से नाखुश थे।
इस मामले की अंतिम सुनवाई अप्रैल 2019 को जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने की थी। तब अदालत ने इसकी जांच करने का फैसला किया था, कि आरोप सीजेआई और कोर्ट की गरिमा को नुकसान पहुंचाने की साजिश तो नहीं है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। यह महिला 2018 में जस्टिस गोगोई के आवास पर बतौर जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थी। महिला का दावा था कि बाद में उसे नौकरी से हटा दिया गया था। महिला ने अपने हलफनामे की काॅपी 22 जजों को भेजी थी। इसी आधार पर चार वेब पोर्टल ने चीफ जस्टिस के बारे में खबर प्रकाशित की थी। अप्रैल 2019 में मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई थी।