वाराणसी, प्रधानमंत्री ने वाराणसी के रुद्राक्ष सेंटर का उद्घाटन करते हुए कहा कि जापान आज भारत के सबसे विश्वसनीय दोस्तों में से एक है। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे जब काशी आई थी तो रुद्राक्ष की आईडिया पर मेरी उनसे चर्चा हुई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी वासियों को कई सौगातों दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी वासियों को कई सौगातें भेंट की। इन सौगातों में सबसे बड़ा तोहफा रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर है। जो काशी को जापान के क्योटो की तर्ज पर विकसित करने में बेहद अहम भूमिका के रूप में साबित होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बना रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, भारत और जापान की मजबूत दोस्ती का प्रमाण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज काशी में सैकड़ों करोड़ की अनेक विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। इन्हीं में वाराणसी इंटरनेशनल कोऑपरेशन एंड कन्वर्सेशन सेंटर “रुद्राक्ष”का उद्घाटन हुआ है। वरुणा काल में जब दुनिया ठहर सी गई थी। तब काशी संयमित हुई थी तथा अनुशासित भी हुई थी, लेकिन सर्जन और विकास की धारा अविरल बहती रही। काशी के विकास की यह आयाम, ये “इंटरनेशनल कोऑपरेशन एंड कन्वर्सेशन सेंटर–रुद्राक्ष’आज इसी रचनात्मकता का, इसी गतिशीलता का परिणाम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा जापान आज भारत की सबसे विश्वसनीय दोस्तों में से एक है।
पीएम मोदी ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि मुझे याद है कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे जब काशी आए थे, तब रुद्राक्ष की आईडिया पर उनसे मेरी चर्चा हुई थी। आगे बताते हुए उन्होंने कहा वर्तमान समय में जापान भारत के सबसे विश्वसनीय दोस्तों में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत और जापान की सोच है कि हमारा विकास हमारे उल्लास के साथ जुड़ा हुआ होना चाहिए। यह विकास सर्वमुखी होना चाहिए। सबके लिए होना चाहिए। और सब को जोड़ने वाला होना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस शहर की सुंदरता को बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बनारस के रोम रोम से गीत संगीत और कला झरती है। यहां गंगा के घाटों पर कितनी ही कलाएं विकसित हुई हैं, ज्ञान शिखर तक पहुंचा है और मानवता से जुड़े कितने गंभीर चिंतन हुए हैं, इसलिए बनारस गीत संगीत का, धर्म अध्यात्म का और ज्ञान विज्ञान का एक बहुत बड़ा ग्लोबल सेंटर बन सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले 600 सालों में बनारस के हैंडीक्राफ्ट और शिल्प को मजबूत करने की दिशा में काफी काम हुआ है। इससे बनारसी सिल्क और बनारसी शिल्प को फिर से नई पहचान मिल रही है।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)