म्यांमार में बुधवार को भी सेना के खिलाफ लोगों का प्रदर्शन जारी रहा। देश के अलग-अलग हिस्सों में सुबह से ही लोग सड़कों पर उतर आए। इधर फ़ौज ने भी सख्ती शुरू कर दी है। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लगातार दूसरे दिन रबर की गोलियां, आंसू गैस और पानी की बौछारें का इस्तेमाल किया गया। लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट करने वाली फौज के लिए एक और मुश्किल खड़ी हो गई है। म्यांमार के कई सरकारी कर्मचारीयों ने ऑफिस जाना बंद कर दिया है। इसलिए सेना प्रमुख मिगं ओंग हेंग ने सरकारी कर्मचारियों से किसी आंदोलन या विरोध प्रदर्शन में शामिल ना होने के लिए कहा था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार सुबह जैसे की फौज के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुआ, तो फौज ने सख्ती दिखाना शुरू कर दी। राजधानी नेपिताॅ की ज्यादातर सड़कों पर वाटर कैनल व्हीकल्स नजर आने लगे। फौजियों को तीन टुकड़ियों में बांटा गया है। सबसे आगे रहने वाले सैनिकों के हाथों में डंडे हैं। दूसरे कतार में टियर गैस यानी आंसू गैस छोड़ने वाले सैनिक है। तो तीसरी कतार में रबर बुलेट और वाटर कैनन ऑपरेट करने वाली टुकड़ी है।
आर्मी चीफ ने 3 दिन पहले ही सरकारी कर्मचारी को धमकी दी थी कि अगर उन्होंने फौज के खिलाफ किसी प्रदर्शन में हिस्सा लिया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। कुछ सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सरकारी कर्मचारियों से ऑफिस ना जाने की अपील की है। इस दौरान “डोंट गो टू दी ऑफिस” के नारे लगे। ऑफिसों में कर्मचारियों की संख्या बेहद कम हो गई है। इससे फौज दबाव में आ सकती है।
मंगलवार को हुए प्रदर्शन में फौज की कार्रवाई में 2 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। इनमें से एक कंप्यूटर साइंस का स्टूडेंट है, और एक महिला डॉक्टर बताई जा रही है। यांगून में यूएन ऑफिस और जापान एंबेसी के सामने लोगों ने नारेबाजी की थी। इस दौरान फौज ने रबर बुलेट फायर कर दिए थे। जिसे दो शख्स गंभीर रूप से घायल हुए। एक प्रदर्शनकारी ने दावा किया है कि बुधवार को राजधानी में एक लाख से ज्यादा लोग फौज के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। इनमें बौद्ध भिक्षु, टीचर्स और सरकारी कर्मचारी भी शामिल होंगे।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)