फोन टैपिंग पर सरकार के कबूलनामें पर सियासी माहौल विधानसभा तक गरमा गया। फोन टैपिंग पर मंगलवार को विधानसभा में भाजपा ने जमकर हंगामा किया। हंगामे के कारण स्पीकर को तीन बार सदन की कार्रवाई को रोकना पड़ा। पहले 12:30 बजे, फिर 1:00 बजे और फिर 1:40 पर आधे -आधे घंटे के लिए सदन की कार्रवाई को स्थगित करना पड़ा।
सदन के शुरू होते ही स्थगन प्रस्ताव खारिज होने से नाराज भाजपा विधायकों ने वेल में आकर नारेबाजी की। उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और विधायक कालीचरण सराफ ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए फोन टैपिंग का मामला उठाना चाहा, लेकिन स्पीकर सीपी जोशी ने इसकी मंजूरी नहीं दी। इस पर नाराज भाजपा विधायकों ने सदन में वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी।
शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि सरकारी मुख्य सचेतक ने एक FIR कराई थी। उसका आधार फोन टैपिंग ही था। इससे यह तय हो गया कि सरकार की किसी एजेंसी ने फोन टैपिंग करवाई। सरकार को सदन में यह बताना चाहिए कि किस अधिकार से सरकार ने किन-किन लोगों के फोन टैप करवाए हैं। हम यही जानना चाहते हैं कि जिस रेफरेंस से मुकदमा दर्ज हुआ है उसकी अनुमति लेकर फोन टैप हुआ है या नहीं? गृह विभाग की अनुमति लेकर अभियुक्तों के लिए फोन टैप करवाते हैं हम जानना चाहते हैं कि मुख्य सचेतक ने जो FIR कराई थी, क्या उसका आधार फोन टैपिंग थी?
बता दें कि सचेतक महेश जोशी ने विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर जुलाई में ACB और SOG में मुकदमा दर्ज कराया था। उसके बाद में कुछ ऑडियो टेप भी ऐसीबी और एटीएस को दिए गए थे। एसीबी और एटीएस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। उस वक़्त भाजपा से जुड़े दो कारोबारियों को गिरफ्तार किया गया था। एसीबी और एसओजी मुकदमे में तीन निर्दलीय विधायकों के अलावा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मंत्री विश्वेंद्र सिंह और भंवरलाल शर्मा के भी नाम थे।
स्पीकर सीपी जोशी ने कहा “राजेंद्र राठौड़ का स्थगन है जिसमें लिखा है सांसदों विधायकों और केंद्रीय मंत्रियों के बिना अधिकृत प्राधिकारियों के फोन टैप कराए गए हैं। आपने इसके सबूत नहीं दिए। आप सबूत दीजिए और नाम बताइए। आपके पास सबूत या रिकॉर्ड है, तो दीजिए इसके बिना सदन में चर्चा की अनुमति नहीं दे सकता।”
अध्यक्ष के स्थगन खारिज होने के बाद भाजपा विधायकों ने वेल में आकर हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी। नाराज स्पीकर ने कहा मैंने सोच समझकर व्यवस्था दी है। मैं अध्यक्ष की व्यवस्था पर आपको सवाल उठाने की अनुमति नहीं दे सकता। आपको अध्यक्ष के फैसले पर विश्वास नहीं है तो आप मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)