Home News शिक्षक—हे भगवान बचा लो मेरा सम्मान।

शिक्षक—हे भगवान बचा लो मेरा सम्मान।

by marmikdhara
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भरतपुर, यह घटना भरतपुर की झंझार नामक माध्यमिक स्कूल की है। यह नगर तहसील में भरतपुर जिला राजस्थान की है। जहां हिंदी विषय की अध्यापिका आशा शर्मा ने अपने प्रधानाचार्य वीरेंद्र पाल सिंह से परेशान होकर आत्महत्या की इच्छा जाहिर है। उन्होंने अपनी सारी परेशानी एक वीडियो के माध्यम से सरकारी समाचार वाले व्हाट्सएप ग्रुप पर डाला है। तथा उन्होंने कहा है, यदि मेरी समस्या का कोई निदान ना हो सके तो मैं डिप्रेशन में हूं कि मैं आत्महत्या करना चाहती हूं । उन्होंने प्रशासन व उच्चाधिकारियों से सहायता की गुहार लगाई है।


सूत्रों के अनुसार मार्मिक धारा की जांच पड़ताल में पता चला कि झांझर के प्रधानाचार्य वीरेंद्र पाल सिंह एक वद मिजाज व चरित्रहीन व्यक्ति है। हिंदी की वरिष्ठ अध्यापिका जो कि 2018 से पहले से कार्यरत हैं। वीरपाल सिंह जो 2018 में स्थानांतरित होकर झांझर जगह पर प्रधानाचार्य के पद आया है। यह जगह नगर तहसील में आती है। जिस दिन से यह स्थानांतरित होकर आया। उसके दूसरे दिन से इसमें अध्यापिका आशा शर्मा को परेशान करना शुरू कर दिया। उसका एक कारण है आज से 20 साल पहले जब मैडम की ड्यूटी पोलियो कार्यक्रम में लगी हुई थी। तब यह उस कार्यक्रम का सुपरवाइजर था। उस समय इसने मैडम को परेशान करना शुरू किया। इससे तंग आकर मैडम ने उच्च अधिकारियों से शिकायत की। इस बात से वीरपाल सिंह मैडम से नाराज हो गया। अब वह इस बात का बदला ले रहा है। मैडम जिनकी उम्र 56 साल है। मात्र साढ़े 3 साल की नौकरी बकाया है। 2 साल से मैडम को टॉर्चर किया जा रहा है। वह सरकारी काम में कोई कमी नहीं ढूंढ पा रहा है। तो बिना कारण ही मैडम को परेशान करता है। वह मैडम से तू तडाके से बात करता है। वह गंदी-गंदी गालियों का प्रयोग करते हैं। पूरा स्टाफ उसके इन करतूतों को जानता है। लेकिन वीरेंद्र सिंह का खौफ इतना बरकरार है कि किसी की हिम्मत नहीं है जो इसका विरोध कर सकें। मैडम 2 साल से डिप्रेशन में चल रही है। अब उनकी सहनशक्ति की चरम सीमा पहुंच चुकी है। उसके परेशान करने का एक तरीका बताता हूं कोविड-19 के समय अध्यापकों को घर-घर जाकर बच्चों को होमवर्क देकर आना होता है तथा होमवर्क देते हुए व्हाट्सएप पर फोटो भेजना पड़ता है। मैडम इस कार्य को बड़ी अच्छे तरीके से कर रहे हैं। कोई कमी ना मिलने पर वह कहता है कि आपको बच्चों के घर के अंदर से फोटो खींचने पड़ेंगे। जबकि बच्चे एक छोटी सी झोपड़ी में रहते हैं। वह पूरे दिन घर से बाहर रहते हैं । उनकी झोपड़ी में इतनी जगह ही नहीं है। इस प्रकार बेतुके की कमियां निकालता हैं।
अध्यापिका आशा शर्मा के दो बच्चे हैं जिनका विवाह नहीं हुआ है। उनके ऊपर सारी जिम्मेदारी हैं तथा वह अपनी नौकरी के प्रति समर्पित है। इसलिए वह इतना अत्याचार सहन कर रही हैं।
वास्तव में जिन स्कूलों में पुरुष एवं स्त्री दोनों पढ़ाते हैं वहां स्त्रियों का शोषण एक आम बात हो गई है। सरकार को विद्यालय जैसे पवित्र स्थल पर ऐसे नियम बनाने चाहिए जिससे कोई चरित्रहीन आदमी किसी महिला को परेशान नहीं कर सकें।
वास्तव में महिलाओं का उत्पीड़न अपने चरम पर है। अध्यापिका आशा शर्मा का पूरा परिवार दहशत और डिप्रेशन में है । हम इनकी बात उच्चाधिकारियों को पहुंचाने की कोशिश करेंगे। बस इतना कहना चाहता हूं,”जिस स्त्री से पुरुष का अस्तित्व है। वह पुरुष उसी स्त्री का अस्तित्व समाप्त करने को तैयार है।”
बस पाठकों इतना समझने की कोशिश करना। एक शिक्षक के लिए”सम्मान”के अलावा कुछ नहीं होता। यदि शिक्षक को इतना अपमानित किया जाएगा तब आप सब मुझे बताओ कि “वह कैसे जिएगा”। भारतीय समाज में शिक्षक को सबसे अधिक सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। आज देखिए कि “कितना समय खराब आ गया है।कि एक शिक्षक अपने सम्मान को बचाने के लिए जीवन त्यागने को तैयार हो गया है। क्योंकि शिक्षक किसी को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। बस अपने जीवन को समाप्त कर सकता है। केवल वीरेंद्र सिंह जैसे कुछ कलंकित शिक्षकों के कारण पूरा शिक्षक समाज अपमानित होता है।”लेकिन मार्मिक धारा की टीम व अन्य पत्रकार समूह एक शिक्षक के साथ हैं। और हम आशा करते हैं कि आप भी हमारे साथ होंगे।

हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)

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