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कक्षा पहली से पांचवी तक के छात्रों को स्कूल से मिलेंगे 60% नंबर, बचे हुए 40% के लिए देनी होगी परीक्षा।
- माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने बताया कि यह व्यवस्था सिर्फ इसी सत्र के लिए हैं। क्योंकि कोरोनावायरस के चलते बच्चों की स्कूल अभी बंद है।
कोरोना काल में पिछले साल जो बच्चे बिना परीक्षा पास हो गए थे, उन्हें इस साल भी ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। खासकर की पहली से पांचवी कक्षा तक के छात्रों को। इन छात्रों को 60% नंबर स्कूल इंटरनल के रूप में स्कूल से ही मिलेंगे, जबकि बचे हुए 40% नंबर के लिए परीक्षा देनी होगी।बता दें कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने बताया कि यह व्यवस्था कक्षा एक से पांचवीं के लिए है जबकि छठी से आठवीं तक के बच्चों को 50% अंक इंटरनल रूप में स्कूल देगा।
कोरोना काल के चलते शिक्षा विभाग ने बच्चों के इंटरनल और एक्सटर्नल मार्क्स तय कर दिए हैं। इस फैसले से सबसे ज्यादा राहत प्राइमरी के छात्रों को मिलेगी। इन छात्रों को सिर्फ 40 फ़ीसदी नंबर के लिए ही परीक्षा देनी है। यह परीक्षा भी बहुत आसान तरीके से ली जाएगी। बच्चों के लिए तैयार हो रही वर्क बुक से ही उनसे परीक्षा देनी होगी। इसी तरह कक्षा छह से आठवीं तक के छात्रों को 50 प्रतिशत अंक स्कूल से इंटरनल रूप में मिलेंगे और शेष 50 प्रतिशत के लिए परीक्षा देकर अंक प्राप्त करने होंगे। इन बच्चों को भी वर्क बुक मिलने वाली है। इस वर्क बुक के आधार पर ही बच्चों को परीक्षा देनी होगी।
पहली बार कक्षा 1 से 5 के बच्चों के लिए वैकल्पिक प्रश्न मिलेंगे। करीब 20 फीसदी अंक तो वैकल्पिक प्रश्नों के ही होंगे। ऐसे में बच्चों के लिए लिखित परीक्षा बहुत ही आसान होने वाली है। कक्षा नवी से बारहवीं तक के बच्चों को 20 फ़ीसदी अंक इंटरनल के रूप में स्कूल से मिलेंगे, बचे हुए 80 फ़ीसदी नंबर परीक्षा से लाने होंगे।
सौरभ स्वामी ने बताया कि यह व्यवस्था सिर्फ इसी सत्र के लिए है। क्योंकि कोरोना संक्रमण चलते बच्चों की स्कूल अभी बंद है। ऐसे में नए सत्र में फिर से पुरानी व्यवस्था लागू हो सकती है। जिसमें सभी स्टूडेंट्स को 80 फ़ीसदी अंग पेपर से हि लाने होते हैं।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)