सरकार फिलहाल प्रथम चरण में 12 साल से ऊपर के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू करना चाहती है। लेकिन पहले गंभीर बीमारियों से ग्रसित 12 साल से ऊपर के बच्चों को वैक्सीनेशन किया जाएगा। पूर्ण स्वस्थ बच्चों को अभी इंतजार करना पड़ सकता है। क्योंकि अगर सरकार 12 साल से ऊपर के सभी बच्चों का वैक्सीनेशन शुरु करती है। तो 18+ के लोगों का वैक्सीनेशन प्रोग्राम प्रभावित हो सकता है। और तब स्थिति पहले जैसी भयावह हो सकती है। जैसे कि कोरोना की सैकण्ड वेव के समय अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई थी। विशेषज्ञों का यह सुझाव है।कि पहले उन बच्चों को वैक्सीन दी जाए जो गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं। क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि हर बच्चे को स्कूल भेजने से पहले वैक्सिन देने की आवश्यकता नहीं है।
“स्वस्थ बच्चों को टीके कुछ समय बाद:-“
पूरी तरह स्वस्थ बच्चों को वैक्सीनेशन के लिए इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि पूर्ण स्वस्थ बच्चों को वैक्सीनेट करने में इस समय जो टीकाकरण अभियान चल रहा है वह पिछड़ जाएगा और अस्पतालों में पहले की तरह अव्यवस्था फैल जाएगी और स्थिति भयावह हो सकती है।
“पहले किन बच्चों को मिलेगी वैक्सीन:-“
पहले उन बच्चों को वैक्सिन मिलेगी जिन्हें किडनी ट्रांसप्लांट, जन्म से कैंसर ,हार्ट की बीमारी, शुगर की बीमारी या कोई अन्य गंभीर बीमारी है। वह पहले वैक्सीनेट होंगे। जिससे उनका इम्यून सिस्टम मजबूत हो और वह कोरोना का मजबूती के साथ मुकाबला कर सकें। उन्हें कोई गंभीर समस्या ना हो।
“वैक्सीन परीक्षण:-“
भारत में बच्चों के लिए कई वैक्सीन परीक्षण के दौर में है। जिनमें कोवैक्सीन का बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। जायडस कैंडिला कि डीएनए बेस्ड वैक्सीन का 12 से 17 साल के बच्चों पर ट्रायल किया जा चुका है। इसके अलावा पुणे की कंपनी सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया 2 से 12 साल तक के बच्चों का कोवावैक्स वैक्सीन का 2/3 चरण का ट्रायल चल रहा है। आशा है जल्दी अगले 1 या 2 महीने में वैक्सिन बाजार में आ जाए।
“कोरोना का बच्चों पर असर :-“
इस महामारी के दौरान अगर किसी के मन मस्तिष्क पर अधिक प्रभाव पड़ा है, वह बच्चे जिनके स्कूल पिछले 14 महीने से बंद है। जिसके कारण घर में बच्चे कुंठित, तनावग्रस्त, झगड़ालू हो गए हैं। हालांकि बच्चों को विद्यालयों द्वारा नियमित रूप से ऑनलाइन क्लास दी जा रही है। लेकिन बच्चे ऑनलाइन क्लासेज के साथ पूर्ण तरह सामंजस्य नहीं बिठा पा रहे हैं। उनका स्क्रीन टाइम बढ़ गया है। जिससे उनकी आंखें खराब हो रही है। और घरों पर उनकी कोई फिजिकल एक्टिविटी भी नहीं हो पा रही है।
और उन्हें भी स्कूल खुलने का बेसब्री से इंतजार है। हालांकि अभी तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है, लेकिन आशा है बच्चों में वैक्सीनेशन होने के बाद सब कुछ पहले की तरह हो जाएगा।
विकास शर्मा (मार्मिक धारा)