Home Uncategorized संसदीय स्थाई समिति ने नकली चीनी खिलौनों पर चिंता जताई, देसी खिलौनों को बढ़ावा देने की सिफारिश की।

संसदीय स्थाई समिति ने नकली चीनी खिलौनों पर चिंता जताई, देसी खिलौनों को बढ़ावा देने की सिफारिश की।

by marmikdhara
0 comment

नई दिल्ली, चीनी खिलौनों की देश में आई बाढ़ पर संसद की समिति ने गहरी चिंता जताई है। समिति का कहना है कि इससे घरेलू उद्योग पर काफी बुरा असर पड़ता है। वाणिज्य मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में घरेलू खिलौना उद्योग को बढ़ावा दिए जाने के लिए कदम उठाने की सिफारिश की है।
समिति ने बुधवार को संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कोरोना काल के बाद देश में औद्योगिक निवेश को बढ़ाने से जुड़ी सिफारिश की गई है। समिति ने भारतीय बाजार में चीनी खिलौनों की भरमार पर गहरी चिंता जताई है। इसके अलावा बाजार में नकली खिलौनों को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं। समिति की कोशिश है चीनी खिलौनों का आयात कम किया जाए।
समिति ने सरकार से कहा की चीन से चरणों का आयात कम करने के लिए घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ साथ नकली और गैर लाइसेंसी खिलौनों की आवाजाही रोकने के लिए सीमा शुल्क जैसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए।
समिति की रिपोर्ट में खिलौना उद्योग को अर्थव्यवस्था के एक उभरते क्षेत्र के तौर पर बताया गया है। जिसमें विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। समिति के अनुसार ऐसा तभी संभव है जब सरकार इसके लिए एक नई नीति बनाएं।
समिति ने सिफारिश की है सबसे पहले अर्थव्यवस्था के क्षेत्र को “फोकस सेक्टर”घोषित किए जाने की आवश्यकता है। घरेलू खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 4 सूत्री कदम उठाने की सिफारिश की गई है।
उद्योग लगाने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए लाइसेंस देने में अलग-अलग एजेंसियों की बजाए एक एजेंसी को लगाना चाहिए। खिलौनों के लिए कच्चा माल आसानी से उपलब्ध करवाया जाए। तकनीक में लगातार सुधार की जरूरत है। खिलौनों के निर्माण के लिए क्लस्टर निर्माण को बढ़ावा दिया जाए। अलग-अलग देसी डिजाइन विकसित करने के लिए एक खिलौना डिजाइन इंस्टीट्यूट का गठन करने का भी सुझाव दिया गया है।
विश्व खिलौना बाजार में भारत का मात्र 0.5 प्रतिशत का ही योगदान है। भारत का खिलौना उद्योग करीब डेढ़ अरब डॉलर का माना जाता है। जो वैश्विक उद्योग का महज 0.5 प्रतिशत है। हालांकि एक आकलन के मुताबिक 2024 तक इस उद्योग के करीब 3 अरब डॉलर हो जाने की क्षमता है। अगले कुछ सालों में खिलौनों की मांग में 10-15 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना है। जबकि वैश्विक बढ़ोतरी में 5 फ़ीसदी हो सकती है। हालांकि 90 फ़ीसदी खिलौना बाजार असंगठित क्षेत्र में आता है। जबकि 4000 खिलौना बनाने इकाइयां छोटे और मझोले उद्योग की श्रेणी में आती है।

हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)

You may also like

Leave a Comment

True Facts News is renowned news Paper publisher in Jaipur, Rajasthan

Newsletter

Subscribe my Newsletter for new blog posts, tips & new photos. Let's stay updated!

Laest News

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by TrueFactsNews