पाठकों आज हम दुनिया के सबसे अच्छा रिश्ता यानी मित्रता के बारे में चर्चा कर रहे हैं। इसके साथ ही एक कहानी में बताई गई है। इस कहानी के द्वारा दोस्ती के महत्व को बताने की कोशिश की है। यदि कोई कमी रह जाती है उसका में क्षमा प्रार्थी हूं।
दोस्ती अर्थात मित्रता अपने आप में बहुत बड़ा शब्द है। बहुत से लोग यह समझते हैं यदि हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाएगी तो हम बहुत खुश होंगे। लेकिन आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाने के बाद भी जरूरी नहीं है की खुशी भी मिल जाए। यदि जीवन में अच्छे मित्र मिलेंगे तो खुशी निश्चित रहेगी।
आइए मित्रता के महत्व को समझाने की कोशिश करते हैं। मित्रता की पहली शर्त “विश्वास” होती है। सच्ची मित्रता जब भी हो सकती है। जब मित्रों में आपसी विश्वास की कड़ी बहुत मजबूत हो। मित्रता वह अटूट रिश्ता होता है जो अंतर्मन से जुड़ा होता है। एक सच्चा मित्र अपने दोस्त की खुशी और गम में हमेशा शामिल होता है। जिंदगी में कोई भी मदद चाहिए आपके मित्र आपके लिए खड़े हो जाते हैं। जीवन की बड़ी से बड़ी समस्याएं मित्रों के सहयोग से आसानी से दूर हो जाती हैं। सच्चे मित्र हमेशा हमारे भले के लिए सोचते हैं। मुश्किल वक्त में एक सच्चे मित्र की पहचान हो जाती है। मित्रता में जाति धर्म कोई मायने नहीं रखता। क्योंकि दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो दिलों से जुड़ा रहता है। मित्रता के बीच में पद, प्रतिष्ठा, धन कोई मायने नहीं रखता है। अपने दोस्त की मुस्कान के लिए हम सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार हो जाते हैं। वक्त के साथ साथ दोस्ती का रंग और निखर जाता है।
मित्रों मेरा नाम हर्षवर्धन शर्मा है। मैं कोचिंग में पढ़ाता हूं अर्थात एक अध्यापक हूं। मेरा एक सपना था कि एक स्वयं की कोचिंग शुरु कर सकूं। साथ साथ अपना एक विद्यालय भी खोल सकूं। सर्वप्रथम मैंने कोचिंग एक अनजान पार्टनर के साथ खोली जो कि एक प्रॉपर्टी डीलर था। उस प्रॉपर्टी डीलर ने अपनी जगह दी तथा कोचिंग में अपना धन लगाया। मैंने केवल मेहनत की। हमारी कोचिंग शुरु से ही अच्छी चलने लगी। मेरे साथी अध्यापकों ने बड़ी मेहनत कर उस कोचिंग को टॉप पर ला दिया। लेकिन जो मेरा पार्टनर एक प्रॉपर्टी डीलर था उसने कोचिंग के पैसे के लेनदेन में बहुत बड़ा घोटाला कर दिया। कागजों में मुझे इस तरीके से फंसाया कि सारे पैसे के घोटाले के बाद भी दुखी होकर मुझे चलती हुई कोचिंग बंद करनी पड़ी। कोचिंग की कमाई का सारा धन उस चालाक व्यक्ति ने रख लिया। मुझे कागजों में इस तरीके से फंसाया कि बाजार का पैसा भी मेरे नाम चढ़ गया। वह 50 लाख का लाभ लेकर उसने मुझे अलग कर दिया।
(प्रॉपर्टी डीलर से आखिरी बार मैं मिलने गया)
प्रॉपर्टी डीलर— आइए सर, बहुत दिनों बाद आना हुआ।
हर्षवर्धन —-मैं आपसे आखरी बार पूछ रहा हूं कि आप पैसा क्यों नहीं लौटा रहे हो।
प्रॉपर्टी डीलर—सर, आप तो नाराज हो गए, बैठिए, छोटू पानी ला , देख सर आए हैं, अरे सर, पैसा देने की मना कब किया है? मैंने एक योजना में सारा पैसा लगा दिया है जैसे ही वहां कुछ बिजनेस शुरू होगा आपका पैसा वापस कर देंगे।
हर्षवर्धन—लेकिन आपने यह गलत किया है।
प्रॉपर्टी डीलर—अरे सर, आप कौन सी दुनिया में रहते हैं? यह तो व्यापार है।
हर्षवर्धन—आपने मुझसे धोखाधड़ी की है।
प्रॉपर्टी डीलर—अरे सर, इसे धोखाधड़ी नहीं व्यापार कहते हैं। आप मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। यदि आपको अभी कोचिंग चलानी है तो ठीक है। वरना, बाजार का पैसा तो आपको ही चुकाना पड़ेगा। जो लाभ था वह मैं इस आवास योजना में लगा चुका हूं। आप चाहे तो इंतजार कर सकते हैं वरना आप मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। सारे कागजात मेरे पक्ष में है।
(इस प्रकार मैं अपने घर आ गया। मैंने सोचा था कि यदि मैं उसे समझा लूंगा शायद वह समझ भी जाएगा। लेकिन वह नहीं माना घर के एक कमरे में लाइट बंद कर मैंने अपनी पत्नी से चाय के लिए बोला। पत्नी ने कमरे में प्रवेश किया।)
पत्नी—लाइट बंद क्यों कर रखीं हैं?
हर्षवर्धन—थोड़ा परेशान था इसलिए लाइट अच्छी नहीं लग रही थी।
पत्नी—(खिड़की का दरवाजा खोलते हुए तथा लाइट जलाते हुए)आप उस पार्टनर से बात करने गए थे तो उसने क्या कहा?
हर्षवर्धन—कोई हल नहीं निकला। वह बहुत बदमाश है। वह मेरा पैसा वापस नहीं करेगा और मुझे सारा पैसा खुद ही चुकाना पड़ेगा। उसने 4 महीने किसी भी कर्मचारी को पैसा नहीं दिया।ना अखबारों वालों को दिया और पैसा किसी को भी नहीं दिया गया। 4 महीने मेरे बाहर जाने का उसने बहुत फायदा उठाया
पत्नी—कोई बात नहीं चाय पियो।
(इस तरीके से मुझे 20 दिन हो हुए मैं बहुत अधिक निराश हो गया था मेरी पत्नी कमरे में आई बोली।)
पत्नी—शर्मा जी, कब तक ऐसे चलता रहेगा? अगर आपके पास बाजार के कुछ कर्ज हो गया है तुम चुकाना प्रारंभ करो। बड़े से बड़े कर्ज भी एक दिन चुक जाते हैं।
हर्षवर्धन–कैसे करूं? कोचिंग चलाने से पहले पैसा देना पड़ेगा। नहीं तो अध्यापकों के सामने अच्छा नहीं लगेगा। अखबार वाले को पुराने विज्ञापन के पैसे देने के बाद ही आगे का विज्ञापन शुरू हो पाएगा। कर्ज 10 लाख का है।
पत्नी—कोचिंग नहीं चल रही है तो बंद कर दूसरे के यहां पढ़ाकर पहले कर्ज चुका दो।
हर्षवर्धन—दूसरी कोचिंग में काम करता हूं तो मुझे मात्र ₹40हजार रुपए मिलेंगे। इससे बहुत कम पैसा ही बाजार का चुका पाऊंगा
कई साल गुजर जाएंगे।
पत्नी—लेकिन पैसा चुक तो जाएगा शर्मा जी, केवल यही रास्ता है। बिना समय खराब करें आप दूसरी कोचिंग में अध्यापन करा कर पूरे पैसों को आसानी से चुका पाओगे। ऐसा मेरा विश्वास है।
हर्षवर्धन—मैं पहले दुविधा में था लेकिन पत्नी के पूर्ण विश्वास कहें हुए शब्दों ने मानो मेरे अंदर जान डाल दी। मैंने उसकी सलाह मान ली।
(इस प्रकार 3 साल पूरे हो गए। एक दिन ऐसा आया कि हमारा संपूर्ण पैसा चुक गया। मैं खुशी-खुशी अपने घर आया। मैंने अपनी पत्नी से कहा।)
हर्षवर्धन—तुम्हारा विश्वास जीत गया। वास्तव में सही कहा गया है कि बिना जीवन साथी के जीवन की समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता है। बिना लाइफ पार्टनर के जीवन का कोई महत्व नहीं है।
पत्नी— यह सब ईश्वर की कृपा है। मैं आज ही देवी का भोग लगा देती हूं।
(अगले दिन में कोचिंग में पढ़ा रहा था। तभी मेरे मोबाइल पर मेरी पत्नी का फोन आया)
पत्नी—-कोई लीगल नोटिस आया है।
हर्षवर्धन—किसका है?
पत्नी—-उसी प्रॉपर्टी डीलर का है। नोटिस लेना है या नहीं।
हर्षवर्धन—-नोटिस ले लो मैं घर पर आ रहा हूं।
(1 घंटे बाद में घर पहुंचा और मैंने नोटिस देखा उस प्रॉपर्टी डीलर ने ₹2लाख की मांग की थी। उसे देख कर मेरा दिमाग घूम गया मैंने घर पर किसी से कुछ नहीं कहा।)
पत्नी—-क्या है? हमें और पैसे देने पड़ेंगे।
हर्षवर्धन—कुछ नहीं देना। हम इसका जवाब देंगे।
(तुरंत मैंने अपने मित्र को फोन किया।)
हर्षवर्धन— रमन, तुम कहां हो?
रमन—-अरे यार, सीधा प्रश्न कर रहे हो। हाय हेलो कुछ नहीं कोई समस्या तो नहीं है ।
हर्षवर्धन—यार मैं घर पर आ रहा हूं।
रमन—तुझे पूछने की जरूरत है। तुरंत आ जा।
(रमन की पत्नी ने दरवाजा खोला)
रमन की पत्नी—-नमस्कार भाई साहब! बहुत दिनों बाद हमारी याद आई।
हर्षवर्धन—ऐसी बात नहीं है।
रमन— आ जा मेरे यार, बहुत दिन बाद घर आया है और सब ठीक है। घर पर सब ठीक है।
हर्षवर्धन—-यार कुछ ठीक नहीं है। यह नोटिस मुझे मेरे पार्टनर ने भेजा है। यह दो लाख का है। मैं 3 साल से पैसा चुका रहा हूं। और इसने मुझे फिर भी नोटिस भेज दिया। मेरे पास इस तरीके से पैसे देने को नहीं है। (मेरी आंखों में आंसू आ गए)
रमन— यार तू ऐसे दुखी मत हो तेरा दोस्त वरिष्ठ वकील है। तू सारी जानकारी कल सुबह मुझे दे देना। ऐसा जवाब दूंगा कि कभी नोटिस नहीं भेज पायेगा। इसका हर्जाना भी लेंगे जो तुझे इसने मानसिक प्रताड़ित किया है।
हर्षवर्धन— यार हजऻना नहीं चाहिए। केवल इस संकट से निकाल दे यार।
रमन— यह संकट ही नहीं है। कल जवाब देंगे ।तुम मस्त रह।
(मैं अपने दोस्त रमन की बातें सुनकर अपने घर खुशी-खुशी आया)
(दूसरे दिन कोर्ट के बाहर)
रमन—- हर्ष जवाब दे दिया। अब तो खुश हो जा। कभी परेशान होने की जरूरत नहीं है।
(मैंने अपने दोस्त को गले लगा लिया)
इस प्रकार किसी ने सही कहा है —” दोस्तों से मिलने से बड़ी से बड़ी परेशानी दूर हो जाती है।”एक मनोवैज्ञानिक सर्वे में यह बताया गया है कि जिन लोगों के पास सकारात्मक व सच्चे मित्र होते हैं। वह अपना जीवन ज्यादा जीते हैं, और खुशी-खुशी जीते हैं। जीवन में खुशी से जीना सबसे बड़ा उपहार है।
इस प्रकार दोस्त चाहे वह जीवन साथी के रूप में हो या बचपन का मित्र हो मेरे जीवन के इस संकट को बड़ी आसानी से सुलझा दिया। अच्छी व सच्ची मित्रता कलयुग के चरण में ईश्वर के वरदान के समान है। अगर मित्र हैं तो हमारे हौसले बुलंद हैं।
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)