साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत को फिल्म का सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फालके अवॉर्ड 2020 से नवाजा जाएगा। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को इसका ऐलान किया। इसे तमिलनाडु चुनाव से जोड़कर देखे जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि “रजनीकांत का फिल्म इंडस्ट्री के योगदान के लिए उन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है। चुनाव से इसका कोई लेना देना नहीं है।”
बता दें कि रजनीकांत का राजनीति में आने का सपना पूरा नहीं हो सका। 70 साल के रजनी ने खराब सेहत की वजह से चुनावी राजनीति में नहीं आने का फैसला किया है। 3 दिसंबर 2020 को रजनीकांत ने कहा था कि वे नई पार्टी बनाएंगे और 2021 का विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे। 31 दिसंबर को नई पार्टी का ऐलान किया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और खराब सेहत की वजह से उन्हें राजनीति छोड़नी पड़ी।
रजनीकांत का जीवन कई परेशानियों और उतार-चढ़ाव से गुजरा है। 12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरु के मराठी परिवार में जन्मे रजनी का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड है। जीजाबाई और रामोजी राव की चार संतानों में शिवाजी सबसे छोटे थे। उनकी पढ़ाई लिखाई बेंगलुरु में हुई है। रजनीकांत 4 साल के थे जब उनकी मां का निधन हुआ। उस समय घर की माली हालत भी अच्छी नहीं थी। इसलिए रजनीकांत ने कुली से लेकर बस कंडक्टर तक का काम किया। बस में टिकट काटने के अनोखे अंदाज की वजह से ही में पॉपुलर हुए और दोस्तों ने उन्हें फिल्मों में एक्टिंग करने की सलाह दी।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)