लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को ज्यादा और ग्राहको को थोड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोरेटोरियम की अवधि 31अगस्त से ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती और ना ही मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी बैंक में ब्याज पर ब्याज वसूला है तो वह लौटाना होगा। कोर्ट ने कहा कि सरकार को आर्थिक फैसले लेने का अधिकार है। क्योंकि महामारी के चलते सरकार को भी भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। हम सरकार को पॉलिसी पर निर्देशन नहीं दे सकते। हालांकि रिजर्व बैंक जल्द ही इस पर राहत का ऐलान करेगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने यह फैसला दिया।
2020 में मार्च से लेकर अगस्त तक मोरेटोरियम योजना का लाभ बड़ी संख्या में लोगों ने लिया। लेकिन उनकी शिकायत थी बैंक बकाया राशि पर ब्याज के ऊपर ब्याज लगा रहे हैं। यही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले पर सवाल पूछा था, तो सरकार ने अपने जवाब में कहा था कि 2 करोड रुपए तक के कर्ज के लिए बकाया किश्तो पर ब्याज पर ब्याज नहीं लगाया जाएगा।
सरकार के इस प्रस्ताव में 2 करो तक के एमएसएमई लोन, एजुकेशन लोन, होम लोन, क्रेडिट कार्ड बकाया, टू व्हीलर लोन और पर्सनल लोन शामिल है। इसका पूरा भार सरकार के ऊपर आएगा, जिसके लिए सरकार ने करीब 6 हजार से 7 हजार करोड रुपए खर्च किए।
कर्ज भुगतान पर राहत देने के बाद आरबीआई ने बैंकों से कहा कि वे लोन का वन टाइम रिस्ट्रक्चरिंग करें और इससे एनपीए धोषित ना करें। इसके तहत उन्हीं कंपनियों और कर्जदारो को शामिल किया जाए तो एक मार्च 2020 से 30 से ज्यादा दिन तक डिफ़ॉल्ट नहीं हुए हैं। काॅरपरेट कर्जदारो के लिए बैंक 31 दिसंबर 2020 तक रिज्योल्यूशन प्लान लाएं और 30 जून 2021 तक लागू करें। 22 मई को आरबीआई ने एमपीसी बैठक में कहा था कि लोन मोरेटोरियम को 3 महीने के लिए बढा़या जा रहा है।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)