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” स्त्री की दशा एवं कानूनी दिशा”

by marmikdhara
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      महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व जमा रही है चाहे वह समुद्र हो या चाहे कोई पर्वत शिखर, कोई गगन की ऊंचाई मापनी हो या धरती के किसी कोने की दूरी; देश का सर्वोच्च पद चाहे  राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,  मुख्यमंत्री, अंतरिक्ष यात्री हो या प्रशासनिक अधिकारी, न्यायधीश अधिवक्ता या खिलाड़ी | हर जगह अपनी पहचान साबित करते नजर आ रही है |

महिलाएं इस संसार रूपी रंगमंच पर अपनी हर तरह की भूमिकाएं अदा कर रही है; जैसे – बेटी बनकर आंगन को चहका रही है, बहन बनकर भाई की कलाई सजा रही है, पत्नी बन कर पति के जीवन का सुख – दुख बांट रही है, मां बनकर बच्चों को पाल पोस कर नया भविष्य तैयार कर रही है|
महिलाओं का स्थान वैदिक काल से ही पूजनीय माना जाता रहा है इस संदर्भ में यह कहावत भी प्रचलित है
“यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता |”
अर्थात जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं | यह सच भी है कि बिना नारी के यह सांसारिक जीवन असंभव है क्योंकि जिससे अस्तित्व निर्मित होता है वह एक नारी ही है |
” पवित्र नारी सृष्टि कर्ता की सर्वोत्तम कृति होती है वह सृष्टि के संपूर्ण सौंदर्य को आत्मसात किए रहती है
रविंद्र नाथ टैगोर
स्त्रियां प्रेम, समर्पण, करुणा, त्याग, सहयोग तथा ममता का प्रतिरूप है | इन तमाम तथ्यों से ज्ञात होता है कि हमारे समाज, देश व संसार में महिलाएं सक्षम, समर्थ, मजबूत और सुरक्षित है किंतु वास्तविकता से बहुत अलग है सच तो यह है कि अधिकांशत : महिलाएँ तो अपने अस्तित्व से लेकर अंत तक हर तरह के सितम सहती है; यथा: स्त्री अपने मां के गर्भ में अस्तित्व बनाती है तब अस्तित्व को नष्ट करने के लिए भ्रूण हत्या करवा दी जाती है, यदि स्त्री ने जन्म ले भी लिया तो कहीं झाड़ियों में फेंक दी जाती है, वहां से किसी सच्चे ह्रदय वाले ने पनाह दी तो घरेलू हिंसा का शिकार हो जाती है, स्त्री का अपने जीवनसाथी का चुनाव शिक्षा, नौकरी आदि के बारे में उसकी विवशता नजर आती है, यदि स्त्री नौकरी करना चाहती है या नहीं, वह कहीं भी सुरक्षित नहीं; चाहे वह घर पर हो या घर के बाहर |
किसी रोड रोमियो के शादी के प्रस्ताव को ठुकराए तो एसिड अटैक का खतरा, यदि स्त्री ने शादी करनी चाही तो उसके बदले में दहेज मांगा जाता है; दहेज पूर्ति न होने पर उसे अपनी जान गंवानी पड़ती है |
इनके अतिरिक्त इंसानियत को शर्मसार करने वाली बलात्संग, गैंगरेप, बच्चों का यौन शोषण से संबंधित घटनाओं का तेजी से ग्राफ बढ़ा है, जो एक बड़ी ही चिंता का विषय है |
एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट चौंकाने वाली है- राजस्थान महिलाओं के साथ होने वाली बलात्कार की घटनाओं में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा स्थान रखता है | राजस्थान में साल 2019 में 5997 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए जिनमें 1313 मामले 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से संबंधित थे। भारत में रोजाना औसतन 88 बलात्संग के मामले साल 2019 में आए। इस साल अगस्त तक 3498 मामले दर्ज हुए। बच्चों के खिलाफ भी अपराध में बढ़ोतरी हुई साल 2018 से साल 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में 4.5% बढ़ोतरी हुई। साल 2019 में बच्चों के खिलाफ कुल अपराध के मामले 1.48 लाख दर्ज हुए, जिनमें 46.6 फ़ीसदी अपहरण और 35.3 फ़ीसदी यौन दुष्कर्म से जुड़े हैं।
कई बार महिलाएँ ऐसी जानकारियों से अवगत नहीं रहती है कि उनके विरुद्ध हो रहे शोषण की शिकायत कहां और कैसे करें। उन्हें समाज में लोक लाज का भय दिखाकर या अपराधियों द्वारा शिकायत करने पर मारने की धमकी देकर शिकायत करने से रोक दिया जाता है या उन्हें लगता है कि शिकायत करने पर उन्हें बहुत पैसा खर्च करना होगा, लेकिन ऐसा नहीं होता है।
वह ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकती है तथा सरकार से उन्हें उनकी ओर से पैरवी करने के लिए निशुल्क उपलब्ध करवाया जाता है ऐसे स्त्री को निशुल्क विधिक सहायता पाने का अधिकार है सरकार द्वारा ऐसी स्त्रियों की सुविधाओं के लिए ऑनलाइन शिकायत करने का भी पोर्टल उपलब्ध करवाया गया है। जैसे:
कार्यस्थल पर महिलाओं से यौन शोषण हो तो वह ऑनलाइन शिकायत कर सकती है – एस एच ई बॉक्स(सेक्सुअल हरस्मेंट इलेक्टॉनिक बॉक्स )
वुमन हेल्पलाइन नंबर -1091 या 1090
नेशनल कमीशन फॉर वूमेन- 0111- 2321 9750
पुलिस कंट्रोल रूम -100
चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर -1098
पीछा करने के विरुद्ध नंबर- 1096
जिले में मारपीट छेड़छाड़ घरेलू हिंसा आदि से पीड़ित महिलाओं को जल्द राहत प्रदान करने के लिए -181
महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराध की शिकायत कौन कर सकता है
यदि महिला के विरुद्ध घरेलू हिंसा, लज्जा या शील का अपमान, दहेज के लिए तंग बलात्संग, या किसी प्रकार की प्रताड़ना हो तो –
या तो वह स्वयं या माता-पिता या उसके कोई नातेदार भी कर सकते हैं, घरेलू हिंसा की शिकायत हो तो सदभावना पूर्वक उसका कोई पड़ोसी भी कर सकता है। महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को रोकने के लिए अनेक अधिनियम भी पारित किए गए हैं जो काफी कारगर साबित हुए, लेकिन उनका कठोर कार्यान्वयन, तथा त्वरित प्रक्रिया के अभाव तथा जनता का उपेक्षा पूर्ण व्यवहार के कारण अधिक प्रभावी होने में असफल ही साबित हो पा रहे है।
इनके अतिरिक्त अन्य उपाय

(1) बच्चों को अपने परिवार में अच्छे संस्कारों में ढालकर उन्हें भेदभाव रहित व्यवहार अपनाये जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
(2) शिक्षा को शत-प्रतिशत बढ़ाया जाए।
(3) महिलाओं को बाल विवाह से मुक्त करके उनकी शारीरिक व मानसिक सामर्थ्य को बढ़ा सकते हैं।
(4) रोजगार उन्मुख विकास करके आर्थिक तौर पर सबल बना कर अन्य पर निर्भरता कम करके शोषण से मुक्त कर सकते हैं।
(5) सरकार की ओर से राष्ट्रीय विधिक सहायता, राज्य विधिक सहायता, जिला विधिक सहायता कार्यकर्मों का हर ग्राम स्तर पर प्रभावी आयोजन किया जाए, जिससे विधिक जागरूकता बढ़े।
(6) विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में भी साधारण विधिक जानकारी जोड़ी जाए।
(7) त्वरित अन्वेषण प्रक्रिया व न्यायिक कार्यवाही करके सजा देकर अपराधियों में भय बनाया जाए।
(8) चुनावी रैलियों में बड़े-बड़े मंचों पर मतदाताओं को लुभाने के लिए जिन विकास की बात करें उनसे बेहतर समाज के लिए तब होगा जब महिला सुरक्षा का वादा निभाया जाए।
(9) पुलिस पेट्रोलिंग सतत हो तथा उनका सहयोग करने के लिए हर नागरिक मुस्तैद हो।
(10) मोबाइल, इंटरनेट पर अश्लील सामग्रियों पर हाई सिक्योरिटी सिस्टम लगाया जाए तथा दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान किया जाए।
इस प्रकार विधिक जागरूकता बढ़ाकर अपराधों के स्तर को घटाया जा सकता है..तथा तभी सच्चे अर्थों में महिला को आजादी मिलेगी और सविधान का उद्देश्य सार्थक होगा.

एडवोकेट किरण यादव(L.L.B./L.L.M.)

हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)

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3 comments

Mayank October 31, 2020 - 5:38 pm

Very nice 👌👍👍

Reply
Mayank October 31, 2020 - 5:39 pm

Very nice 👌👍👍👍

Reply
Mayank October 31, 2020 - 5:40 pm

Very nice for women’s
👌👍👍👍

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