एक साक्षात्कार में, रेडियो जॉकी ने अपने अतिथि, एक करोड़पति से पूछा,आपने जीवन में सबसे अधिक खुशी का एहसास कब किया ?
करोड़पति ने कहा: – मैं जीवन में खुशियों के चार पड़ावों से गुजरा हूं और आखिरकार मैंने सच्ची खुशी को समझा…….
पहला चरण धन और साधनों का संचय करना था.. लेकिन इस स्तर पर मुझे खुशी नहीं मिली…..
फिर मूल्यवान वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण…..लेकिन मुझे एहसास हुआ कि इसका प्रभाव भी अस्थायी है और मूल्यवान चीजों की चमक लंबे समय तक नहीं रहती है……
फिर बड़े प्रोजेक्ट्स पाने का तीसरा चरण आया……जैसे क्रिकेट टीम खरीदना, टूरिस्ट रिसोर्ट खरीदना आदि, लेकिन यहां भी मुझे वह खुशी नहीं मिली, जिसकी मैंने कल्पना की थी……
चौथी बार मेरे एक मित्र ने मुझे विकलांगों के लिए व्हीलचेयर खरीदने के लिए कहा…… मैंने तुरंत उन्हें खरीदा … लेकिन मेरे दोस्त ने जोर देकर कहा कि मैं उसके साथ चलु और विकलांग बच्चों को व्हीलचेयर सोंपू। मैं तैयार हो गया……मैंने ये कुर्सियाँ अपने हाथों से जरूरतमंद बच्चों को दीं। मैंने चेहरों पर खुशी की अजीब चमक देखी…… मैंने उन सभी को कुर्सियों पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा … ऐसा लगा जैसे वे किसी पिकनिक स्थल पर पहुंचे हों…..
जब मैं जगह छोड़ रहा था, तब बच्चों में से एक ने मेरे पैर पकड़ लिए….. मैंने धीरे से अपने पैरों को मुक्त करने की कोशिश की, लेकिन बच्चा मेरे चेहरे को घूरता रहा …
मैं नीचे झुका और बच्चे से पूछा: क्या आपको कुछ और चाहिए….????
बच्चे के जवाब ने न केवल मुझे खुश किया बल्कि मेरी जिंदगी भी पूरी तरह से बदल दी….. बच्चे ने कहा “मैं आपके चेहरे को याद करना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचानने में सक्षम हो जाऊंगा और एक बार और आपको धन्यवाद दूंगा”…
भानु प्रकाश शर्मा (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)