मुंबई, उद्धव ठाकरे सरकार और कंगना रनोट का विवाद ने एक नया मोड़ लिया । बाम्बे हाई कोर्ट ने कंगना रनोट के खिलाफ एफ आई आर रद्द करने से इंकार कर दिया है। साथ ही बाम्बे हाई कोर्ट ने आदेश दिया है। कंगना और उसकी बहन रंगोली दोनों 8 जनवरी को 12:00 से 2:00 के बीच बांद्रा पुलिस स्टेशन में हाजिरी दें तथा बाम्बे हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राजद्रोह की धारा लगाने पर पुलिस को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा—जो भी सरकार के मुताबिक नहीं चलेगा, क्या उसपर राजद्रोह की धारा लगा दी जाएगी?
मुंबई पुलिस ने कंगना और रंगोली को तीन बार सम्मन भेजा था। लेकिन वे पेश नहीं हुई, बल्कि सोमवार को हाईकोर्ट में अर्जी लगा कर f.i.r. रद्द करने और सम्मन पर स्टे देने की अपील की। कोर्ट ने सम्मन मिलने के बाद भी कंगना के पुलिस के सामने पेश ना होने पर सवाल पूछा। इस पर कंगना के वकील ने उनके शहर से बाहर होने का हवाला दिया। कोर्ट ने कंगना के मुंबई लौटने की तारीख पूछी। जब वकील इस पर साफ जवाब नहीं दे पाया, तो अदालत में तुरंत कंगना को फोन करने का निर्देश दिया ।
दूसरी तरफ कोर्ट ने मुंबई पुलिस की एफ आई आर में आईपीसी के सेक्शन 124a (राज़द्रोह की धारा) जोड़ने पर सवाल पूछा। पुलिस से पूछा,”आप नागरिकों के साथ ऐसे पेश आते हैं? हम दूसरे सेक्शन को समझ सकते हैं। लेकिन 124a क्यों? अगर केस इतना सीरियस था तो आपको एफ आई आर दर्ज करनी चाहिए थी। लेकिन f.i.r. मजिस्ट्रेट के 156 (3) के अंतर्गत दिए गए आदेश के बाद फाइल की जानी चाहिए थी।
हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कंगना और रंगोली के खिलाफ 4 धाराओं में पुलिस ने केस दर्ज किए हैं। बांद्रा कोर्ट ने कंगना और रंगोली के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत एफ आई आर दर्ज कर जांच के आदेश दिए थे। इस पर एक्शन लेते हुए पुलिस ने कंगना और उसकी बहन के खिलाफ 4 धाराओं में केस दर्ज किया था।
धारा 153 ए: —–धर्म, भाषा, नस्ल के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करने का आरोप।
धारा 295 ए:—-धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप।
धारा 124 ए—-राजद्रोह का आरोप
धारा 34—-एक से ज्यादा लोगों पर एक जैसी मंशा से काम करने का आरोप।
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)