नई दिल्ली, किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ी बहल की है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार कृषि कानून लागू करने का अधिकार राज्यों को दे सकती है। किसान नेता बाबा लक्खा सिंह के जरिए केंद्र सरकार की तरफ से यह पेशकश किसानों को की गई है। बाबा लक्खा सिंह ने गुरुवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भी मुलाकात की है।
कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार और किसान शुक्रवार को एक और दौर की बातचीत करेंगे। पिछली बैठक जो सोमवार को हुई थी वह अनिणऻयक रहीं, क्योंकि किसान 3 कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए थे।
शुक्रवार की बैठक, जो किसानों और सरकार के बीच आठवें दौर की वार्ता होगी। जो दोपहर 2:00 बजे विज्ञान भवन में होगी। इससे पहले गुरुवार को किसान यूनियनों ने राष्ट्रीय राजधानी में चार स्थानों पर एक ट्रैक्टर रैली निकाली और 3 कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। बाद में पत्रकारों से वार्ता करते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश डकैत ने कहा कि यूनियनों ने गणतंत्र दिवस पर एक ट्रैक्टर मार्च निकालने की योजना बनाई है।
टिकैट ने कहा, “हम 26 जनवरी को परेड में भाग लेंगे। टैंक एक तरफ और दूसरी तरफ टैक्टर होंगे। आज की रैली अच्छी थी।उस दिन बड़ी संख्या में लोग दिल्ली आएंगे और परेड में हिस्सा लेंगे।”
अब तक किसान यूनियनों और सरकार के बीच 7 बार वार्ता हो चुकी है। सातों बार वार्ता असफल रही। किसान समूह तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं अर्थात किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, मूल आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता पिछले 43 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। योगी सरकार ने कई आश्वासन दिए कि कानून किसानों को सशक्त बनायेंगा ।
इस बीच, शुक्रवार को निर्धारित बैठक से पहले भाजपा नेताओं ने इस मामले पर सरकार की प्रतिक्रिया पर विचार करने के लिए गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। भाजपा नेता सुजीत स्वामी सुजीत कुमार ज्ञानी, जो नेताओं में से एक थे। उन्होंने कहा की सरकार खेत कानूनों को वापस नहीं लेने करने के अपने अपने फैसले दृढ़ थी। केंद्र सरकार किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार है लेकिन उन्होंने कहा कि वे जिद्दी है।
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)