16 अक्टूबर 1940 में अमृतसर में जन्मे नरेंद्र चंचल ने बचपन से ही अपनी मां को माता रानी के भजन गाते सुना। तथा नरेंद्र चंचल ने भी माता रानी के भजन गाकर देश, विदेश में ख्याति प्राप्त की। पिछले 3 दिनों से उनका इलाज दिल्ली के अपोलो अस्पताल में चल रहा था।
भजन सम्राट नरेंद्र चंचल का शुक्रवार को निधन हो गया। वह 80 साल के थे। उन्होंने कई प्रसिद्ध भजनों के साथ हिंदी फिल्मों में गाने गाए हैं। उन्होंने ना सिर्फ शास्त्रीय संगीत में अपना नाम कमाया, बल्कि लोक संगीत में भी लोगों को दिल को जीता। उनके द्वारा गाया हुआ प्रसिद्ध भजन “चलो बुलावा आया है”, “ओ जंगल के राजा मेरी मैया को ले कर आजा” जैसे प्रसिद्ध भजन नरेंद्र चंचल की ही देन है। नरेंद्र चंचल पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पिछले 3 दिन से उनका इलाज दिल्ली के अपोलो अस्पताल में चल रहा था। आज शुक्रवार दोपहर करीब 12:15 बजे अंतिम सांस ली।
16 अक्टूबर 1940 अमृतसर में पिता चेतराम खरबंदा और माता कैलाशवती के घर जन्मे नरेंद्र चंचल ने बचपन से ही अपनी मां को माता रानी के भजन गाते हुए सुना। मां के भजनों को सुन सुनकर उन्हें भी संगीत में रुचि होने लगी। नरेंद्र चंचल की पहली गुरु उनकी मां ही थी। इसके बाद चंचल ने प्रेम त्रिखा से संगीत सीखा। इसके बाद वह भजन गाने लगे थे।
बॉलीवुड में उनका सफर राज कपूर के साथ शुरू हुआ। जब फिल्म “बॉबी” में उन्होंने “बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो” गाया था। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में गाने गाए। लेकिन उनकी असली पहचान फिल्म “अवतार” में गाये। माता के भजन “चलो बुलावा आया है”से जिसने रातों रात उन्हें मशहूर गायक बना दिया।
हाल ही में नरेंद्र चंचल ने कोरोना के लेकर एक गाना गाया था। जो काफी वायरल हुआ था। माता वैष्णो देवी को लेकर उनकी खास आस्था थी। साल 1944 से लगातार माता वैष्णो देवी के दरबार में आयोजित होने वाली वार्षिक जागरण में हाजिरी लगाते थे। लेकिन इस बार कोरोना के कारण यह संभव नहीं हो सका।
मार्मिक धारा न्यूज़पेपर नरेंद्र चंचल को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)