कंपनियों द्वारा फर्जी इनवॉइस और कर चोरी के मामले के साथ विभागीय अफसरों की लापरवाही की भी होगी जांच।
1004 करोड रुपए के जीएसटी फर्जीवाड़े में DGGI की कार्रवाई के बाद राज्य कर वाणिज्य कर विभाग सक्रिय हो गया है। इस पूरे मामले में अब स्टेट जीएसटी चोरी और राज्य सरकार के वाणिज्य कर विभाग के अफसरों की ढिलाई भी सामने आई है। वाणिज्यिक कर विभाग ने ऐसे मामलों में बरती गई ढिलाई और विभागीय लापरवाही की जांच के लिए दो अफसरों की कमेटी का गठन किया गया। 23 जनवरी को डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस ने 1004 करोड के जीएसटी फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए मास्टरमाइंड विष्णु गर्ग सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया था।
वाणिज्य कर विभाग के आयुक्त ने अतिरिक्त आयुक्त शक्ति सिंह राठौड़ की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है। कमेटी में वित्तीय सलाहकार महेंद्र भूकर को सदस्य बनाया गया है। कमेटी को 7 दिन में रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं। 2 सदस्य कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। 2 फरवरी के आसपास आयुक्त को रिपोर्ट सौंपी जा सकती है।
DGGI की कार्रवाई के बाद वाणिज्य कर विभाग हरकत में आया और जांच के लिए कमेटी बनाई है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि डीजीजीआई ने जीएसटी चोरी की का पर्दाफाश किया। उसमें स्टेट जीएसटी की चोरी भी शामिल है। और इस पूरे मामले में वाणिज्य कर विभाग के अफसरों की भी जांच की जाएगी।
स्टेट जीएसटी रिफंड में फर्जीवाड़े पर आशंका-
जीएसटी और एसजीएसटी चोरी के बड़े मामले पहले भी सामने आए हैं। लेकिन फर्जीवाड़ा करके बिना कोई माल बेचे जीएसटी का रिफंड क्लेम करने का मामला पहली बार सामने आया है। और इस मामले के सामने आने के बाद अब डीजीजीआई के साथ वाणिज्य कर विभाग भी सक्रिय हो गया है। अब स्टेट जीएसटी रिफंड के फर्जीवाड़े को लेकर भी जांच की जा रही है।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)