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- किसान नेता युद्धवीर ने हिंसा पर मांगी माफी।
- दिल्ली पुलिस ने 37 किसान नेताओं को ट्रैक्टर परेड की शर्ते तोड़ने का आरोपी बनाया, बुधवार को इनके खिलाफ FIR दर्ज कराई गई।
- पुलिस के एक्शन के 3 घंटे बाद ही 2 किसान संगठनों ने आंदोलन से अलग होने का ऐलान कर दिया।
26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा पर पुलिस का एक्शन जारी है। पुलिस ने गुरुवार को किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया। यानी वे बिना इजाजत विदेश नहीं जा सकेंगे। हालांकि यह पुष्टि नहीं हो पाई है कि लुकआउट नोटिस में किन-किन नेताओं का नाम है। लेकिन माना जा रहा है कि जिन 37 नेताओं के खिलाफ पुलिस ने बुधवार को एफ आई आर दर्ज कराई थी। उन्हीं के खिलाफ नोटिस जारी किए गए हैं।
उधर, किसान नेता युद्धवीर सिंह ने हिंसा की घटनाओं पर माफी मांगते हुए कहा कि “गणतंत्र दिवस के दिन जो हुआ, वह शर्मनाक है। मैं गाजीपुर बॉर्डर के पास था। जो उपद्रवी वहां घुसे उनमें हमारे लोग शामिल नहीं थे। फिर भी मैं शर्मिंदा हूं। और 30 जनवरी को उपवास रखकर हम प्रायश्चित करेंगे।”
किसान नेताओं से पुलिस ने मांगा 3 दिन में जवाब-
दिल्ली पुलिस ने बुधवार देर रात 20 किसान नेताओं को नोटिस जारी कर पूछा कि, क्यों ना आप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए? 3 दिन में इसका जवाब दें। जिन नेताओं को नोटिस दिए गए हैं उनमें चार के नाम अभी तक सामने आए हैं। यह नेता है योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, बलदेव सिंह सिरसा और बलवीर सिंह राजेवाल। पुलिस ने जो नोटिस भेजा है उसमें यह भी कहा गया कि गणतंत्र दिवस पर लाल किले में तोड़फोड़ करना एक देश विरोधी हरकत है।
किसान नेता राकेश टिकैत की चेतावनी- ट्रैक्टर रैली में हिंसा को लेकर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के खिलाफ FIR हो चुकी है। लेकिन उनके तेवर नहीं बदले। टिकैत ने अब सरकार को धमकी भरे लहजे में चेतावनी दी है। गाजीपुर बॉर्डर पर बुधवार रात 8 बजे बिजली काटने से टिकैत गुस्सा हो गए। राकेश टिकैत ने कहा कि “सरकार दहशत फैलाने का काम कर रही है। इस तरह की कोई भी हरकत पुलिस प्रशासन ना करें। अगर इस तरह की हरकत करेगा तो सारे बॉर्डर वही हैं, ठीक है और वे किसान जो गांव में है। वहां पर उनको बता देंगे। फिर अगर कोई दिक्कत होती है। तो वहां की जो लोकल थाने हैं। किसान वहां पर जाएंगे। यह सरकार पूरी तरह ध्यान रखें। इस तरह की कोई भी हरकत वहां होगी तो पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद बिखरा किसान आंदोलन- 2 महीने से शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा किसान आंदोलन मंगलवार को हिंसा के बाद बिखरता हुआ नजर आया। एक तरफ पुलिस उपद्रवियों और किसान नेताओं की घेराबंदी करने में जुटी है। तो वहीं दूसरी तरफ किसान संगठनों में भी फूट नजर आ रही है। बुधवार शाम 4 बजे राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन ने अचानक ऐलान कर दिया कि वे आंदोलन से अलग हो रहे हैं। इसके डेढ़ घंटे बाद ही भानु गुट के किसानों ने चिल्ला बॉर्डर पर अपने टेंट हटाकर घर लौटने की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा किसान संगठनों ने 1 फरवरी का संसद मार्च टालने का भी ऐलान कर दिया है।
लाल किले पर धार्मिक झंडा लगाने वाले की हुई पहचान-किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुए बवाल में सबसे ज्यादा चर्चा लाल किले की घटना की हो रही है। क्योंकि रैली में शामिल प्रदर्शनकारी पुलिस का दिया रूट फॉलो ना कर लाल किले पहुंच गए थे। वहां उन्होंने जमकर उत्पात मचाया और लाल किले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा भी लगा दिया। झंडा लगाने वाले युवक की पहचान हो गई है। वह पंजाब के तरनतारन के वां- तारा सिंह गांव का रहने वाला है। उसका नाम जुगराज सिंह है। उसके दादा महल सिंह ने कहा कि जुगराज 24 जनवरी को दिल्ली गया था। वह लाल किले पर कैसे पहुंचा? और किसके कहने पर वहां केसर झंडा झंडा चढ़ाया। उन्हें नहीं पता।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)