बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए उदयपुरवाटी विधायक राजेंद्र सिंह गुड़ा जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर के चेंबर में जमीन पर धरने पर बैठने के पीछे उनकी सियासी नाराजगी को वजह बताया जा रहा है। राजेंद्र सिंह गुढ़ा कल चीफ इंजीनियर के सामने धरने के दौरान ही खुलकर सियासी नाराजगी जाहिर कर दी। गुढ़ा ने कहा कि “हमने सरकार को बचाया था। यह सोचकर थोड़े ही बचाया था कि यह दिन देखने पड़ेंगे। चुना हुआ विधायक जमीन पर बैठा है और अफसर सुनवाई ही नहीं कर रहे।”
राजेंद्र सिंह गुड़ा के इस एक लाइन के बयान ने यह साफ कर दिया। जानकारों के मुताबिक राजेंद्र गुढ़ा सरकार में काम नहीं होने, सत्ता में भागीदारी नहीं मिलने और उदयपुरवाटी की स्थानीय राजनीति में भी अपने हिसाब से फैसले सरकार से नहीं करवा पाने के कारण नाराज हैं। जनता जल मिशन में उदयपुरवाटी के गांवों को शामिल नहीं करने पर गुढ़ा को धरने पर बैठकर सरकार को चेताने का मौका मिल गया।
राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि “यह दिन देखने के लिए सरकार नहीं बचाई थी।” इससे साफ है कि वह सरकार में काम नहीं होने से दुखी हैं। गुढ़ा ने इस बयान के जरिए अपना दर्द भी बयां किया और सरकार को भी चेतावनी दे दी है। कि अनदेखी की गई और वादे के मुताबिक भागीदारी नहीं मिली तो आगे वे असंतुष्ट विधायकों की राह भी पकड़ सकते हैं। राजेंद्र गुढ़ा ने गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में भी खुद सहित बसपा के सभी 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय में बड़ी भूमिका निभाई थी। उस वक्त राजेंद्र सिंह गुढ़ा को राज्यमंत्री बनाया गया था।
राजेंद्र सिंह गुड़ा ने छह विधायकों के साथ सितंबर 2019 में बसपा छोड़कर कांग्रेस में विलय की घोषणा की थी। इसके बाद ही अशोक गहलोत सरकार में कांग्रेस विधायकों की संख्या 107 हुई थी। बता दें कि कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायकों से मंत्री बनाने, राजनीतिक नियुक्तियां देने और उनके निर्वाचन क्षेत्र में काम होने सहित तमाम तरह के वादे किए गए थे। इस विलय को डेड साल बीत चुका है, अब तक किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया, न ही राजनीतिक नियुक्ति में, ना किसी माध्यम से सरकार में भागीदारी दी है। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस के बड़े नेता बिना शर्त विलय की बात कहते नजर आए हैं।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)