भरतपुर, मंगलवार को प्रशासन के सूत्रों के द्वारा बताया गया। जिंदल हॉस्पिटल से 162000 रुपए लिए गए हैं। लेकिन यह राशि का चेक राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी को दिया गया है। यदि यह राशि बतौर जुर्माना वसूल की गई होती तो उसका पैसा सोसाइटी को क्यों दिया गया है। जबकि आईएमआरएस को बतौर जुर्माना की राशि दी जानी चाहिए थी। इस पर अभी तक प्रशासन ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। इस बात से स्पष्ट है हाईकोर्ट में जवाब देकर खानापूर्ति करने व आमजन को गुमराह करने की कार्रवाई यहां पर कहीं ना कहीं जिला प्रशासन के सहयोग से की गई है। यह भी जांच का विषय है। जिला प्रशासन पूरी तरीके से चुप्पी साधे हुए हैं। प्रशासन जुर्माना मानकर वेंटिलेटर देना गलती मान चुका है। लेकिन अब बोलने से पीछे हट रहे हैं।
पीएम केयर्स फंड के सरकारी वेंटिलेटर को निजी जिंदल हॉस्पिटल को देने के मामले में प्रशासन की कार्रवाई का गणित मेहरबानी से हट नहीं रहा है। अभी तक ना तो जिंदल हॉस्पिटल से सरकारी वेंटिलेटर का किराया वसूला गया है। जांच कमेटी ने राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी के नाम जिंदल हॉस्पिटल से 162000 रुपए का चेक लिया है। जो कि एक खानापूर्ति है। जैसा की विदित है। आरबीएम चिकित्सालय प्रशासन ने जिंदल सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल को प्रशासन की अनुशंसा पर करीब 27 अप्रैल को 5 वेंटिलेटर तथा 6 मई को 5 वेटिलेटर उपलब्ध कराए थे। मीडिया में खबर आने के बाद आरबीएम प्रशासन ने 7 मई को जिंदल हॉस्पिटल को पत्र लिखकर किराया जमा करने की बात कही थी । किराए की बात करें तो 27 अप्रैल एवं 6 मई को दिए गए वेंटिलेटरो का राज्य सरकार को 11 मई को आई गाइडलाइन तक 20 दिन का किराया 2 लाख रुपए होता है। लेकिन अभी तक जिंदल हॉस्पिटल की ओर से एक भी पैसा किराए के रूप में जमा नहीं कराया गया है। और दिलचस्प बात यह है कि प्रशासन ने भी जांच में यह माना है कि जिंदल हॉस्पिटल में प्रति मरीज से वेंटिलेटर के नाम पर 9000 रुपए की वसूली की। यदि प्रतिदिन 9000 रुपए के हिसाब से मरीजों से की गई वसूली को देखा जाए तो 10 वेटिलेटरो का 20 दिन का चार्ज करीब 18लाख रुपए होता है। यह बात तो प्रशासन के द्वारा मानी गई है। जबकि वास्तविकता में 30 से 38हजार के बीच राशि मरीजों से बसूली गयी है। वास्तविक राशि तो छोड़िए प्रशासन की जांच कमेटी के द्वारा गई राशि (18लाख)भी वसूली नहीं गई है। यह मेहरबानियां का गणित शुरू से लेकर अंत तक खत्म होने वाला नहीं है। और इस मेहरबानी के पीछे सत्ता शासन और जो भी दोषी हैं उनके नाम नहीं आएंगे जब तक इस घोटाले का खुलासा नहीं हो जाएगा।
आज हाईकोर्ट में जो पीआईएल दाखिल की गई है उसकी सुनवाई है। प्रशासन सुनवाई में पेश होने से पहले बचाव के पूरे रास्ते अख्तियार कर रहा हैं। किस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल एवं हिना गर्ग ने बताया कि विजय गोयल की पीआईएल पर बुधवार को सुनवाई होनी थी। लेकिन अब यह सुनवाई गुरुवार को होगी। लेकिन ऐसी स्थितियों को मध्य नजर रखते हुए ऐसा नहीं लग रहा कि प्रशासन दोषियों को सजा देने के मूड में है।
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)