महामारी में झोलाछाप डॉक्टरों से बढ़ते नुकसान को देखते हुए सरकार के निर्देश पर अलवर के तिजारा के टपूकड़ा में प्रशासन ने झोलाछाप डॉक्टरों के ठिकानों पर छापा मारा। 5 में से 3 झोलाछाप डॉक्टर दुकाने बंद कर भाग गए। एक झोलाछाप डॉक्टर दुकान बंद कर ऊपर छत पर चढ़ गया और वहां अंदर से कुंडी लगा दी। इसके बाद पुलिस और प्रशासन की टीम ने गेट को तोड़कर उनको बाहर निकाला। बाद में झोलाछाप डॉक्टर व उसके सहायक को मुर्गा भी बनाया। पांच झोलाछाप डॉक्टरों के यहां से करीब 30 मरीजों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया। कुछ मरीज इस कार्रवाई को देख कर चले गए। ऐसे में 5 अस्पताल सीज किए गए हैं।
बीसीएमएचओ मनोज यादव ने बताया कि आयत अस्पताल संचालक तारीफ कार्रवाई करने गई टीम को देख छुप गया और गेट बंद कर लिया। मजबूरी में प्रशासन को बदल के मकान की छत के ऊपर जाना पड़ा। कई बार कहने पर भी गेट नहीं खोला तो गेट तोड़ना पड़ा। अस्पताल संचालक तारीफ व उसके सहायक को बाहर निकाला और दोनों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। प्रशासन को परेशान करने के कारण दोनों को नीचे उतारकर मुर्गा बनाया गया। इस दौरान वे अपनी सफाई देने की कोशिश भी करने लगे। लेकिन उनको टीम ने जमकर लताड़ा।
प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई के दौरान टपूकड़ा में संचालक अकरम खान, तारीफ खान, मनीष अस्पताल में संचालक शाकिर खान, आसीन, भागोदिया डॉक्टर क्लीनिक में संचालक यामीन खान मरीजों का इलाज करते मिले। प्रारंभिक तौर पर किसी के पास वैद्य डिग्री नहीं मिली। इस मामले में बीसीएमएचओ मनोज यादव ने बताया कि सबके दस्तावेज मांगे गए हैं। अधिकतर के पास कोई डिग्री नहीं होने का पता चला है। कई ने तो मरीजों के इलाज के लिए बेड लगा रखे थे। जिससे साफ जाहिर है कि वे मरीज भर्ती कर इलाज कर रहे हैं। जबकि किसी के पास किसी तरह की डिग्री नहीं है।
असलियत यह है कि जिले में बड़ी संख्या में ऐसे झोलाछाप डॉक्टर हैं। जिनके भरोसे कई लाख आबादी है। मतलब उनके जरिए ही दवाई मिलती है। प्रशासन की पहले से चली आ रही सुस्ती इस महामारी में भारी पड़ी है। जिसे देखते हुए प्रशासन अब जागा है। कई जगहों पर झोलाछाप पर कार्रवाई करने का असर जिले भर में देखा गया। कई झोलाछाप इन दिनों खुद अस्पताल या दुकान पर आने की वजह घर-घर जाकर इलाज करने लगे हैं।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा)