उत्तर प्रदेश की प्रभारी और महासचिव प्रियंका गांधी की राजस्थान की सियासत में भूमिका लगातार देखने को मिल रही है। पिछले साल कांग्रेस के सियासी संकट का समाधान कराने से लेकर सरकार के प्रशासनिक फैसले भी प्रियंका गांधी के इशारे पर होने शुरू हो गए हैं। राज्य के बेरोजगार प्रियंका गांधी से लखनऊ में मिले। जिसके बाद गुरुवार को कैबिनेट ने अचानक कंप्यूटर शिक्षकों की नियमित भर्ती करने का फैसला किया।
इससे संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले दिनों में राजस्थान में सियासी फैसलों में प्रियंका गांधी के तय फार्मूले के आधार पर ही काफी कुछ तय हो हो सकता है। गौरतलब है कि पिछले दिनों पंजाब में प्रियंका गांधी की ओर से उठाए गए सख्त कदम के बाद ही नवजोत सिंह सिद्धू को पीसीसी चीफ बनाया गया था।
प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप के बाद नवजोत सिंह सिद्धू बने थे पीसीसी चीफ-
पिछली बार सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ मानेसर चले गए थे। जिससे राज्य में सियासी संकट खड़ा हो गया था। यह संकट करीब 1 महीने तक चला था। प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप के बाद ही सचिन पायलट की वापसी हुई थी। मामला सुलझाने के लिए एक सुलह कमेटी बनी थी। प्रियंका के ही इशारे पर तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को हटाया गया था। अब माना जा रहा है कि राज्य में फिर से चल रहा सियासी विवाद पंजाब की तर्ज पर प्रियंका के दखल के बाद ही खत्म होगा। बताया जा रहा है कि इसको लेकर दिल्ली स्तर पर होमवर्क भी हो चुका है।
कोरोना काल के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को सीबीएसई की परीक्षाएं रद्द करने के लिए पत्र लिखा था। इसके बाद मोदी ने मीटिंग करके सीबीएसई की परीक्षाओं को रद्द कर दिया था। इसी के आधार पर राजस्थान में भी बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने का सरकार पर दबाव बना था। सीबीएसई की परीक्षा रद्द होने के अगले ही दिन राजस्थान सरकार ने भी 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी थी।
कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती में भी प्रियंका ने किया था हस्तक्षेप-
राज्य सरकार ने पिछले कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती संविदा के आधार पर करने का फैसला किया था। बेरोजगार कंप्यूटर शिक्षकों ने राज्य सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध किया। सोशल मीडिया पर अभियान भी चलाया। दिल्ली में कांग्रेस कार्यालय के बाहर धरना दिया। साथ ही यूपी और दिल्ली में पड़ाव भी किया। लेकिन कांग्रेस और राज्य सरकार के स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में बेरोजगार मजबूर होकर लखनऊ जाकर प्रियंका गांधी से मिले। उसके चंद दिन के भीतर अब कैबिनेट को कंप्यूटर शिक्षकों को नियमित करने का फैसला करना पड़ा।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)