हाल ही में एंपीरियल कॉलेज लंदन में अपने शोध में दावा किया है कि अगर कोई व्यक्ति वैक्सीन की दोनों दोष देता है तो उसे डेल्टा वायरस का खतरा 60% कम हो सकता है।रिसर्च के अनुसार टिकाना लगवाने से डेल्टा वेरिएंट का खतरा 3 गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
98235 व्यक्तियों की रेंडम जांच के नतीजे
यहां 98235 लोगों की घर-घर जाकर सैंपल प्राप्त किए गए फिर सैंपल की पीसीआर टेस्टिंग की गई इसमें 527 लोग पॉजिटिव आए फिर 527 पॉजिटिव सैंपल में से 254 सैंपल में मौजूदा वायरस की उत्पत्ति को समझने के लिए दोबारा लैब में जांच की परिणाम स्वरूप सैंपल्स में 100 फ़ीसदी की तक डेल्टा वायरस था।
वैक्सीन कैंसर की जांच
इंपीरियल कॉलेज के महामारी विशेषज्ञ कहना है कि हमने रेंडम सैंपल लेकर कोरोना के खिलाफ वैक्सिंग के वायरस को जांचा इसमें एसिंप्टोमेटिक मरीजों को भी शामिल किया बाद में पाया गया कि डेल्टा वायरस संक्रमित मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती होने की आशंका ज्यादा रहती है ऐसे में वैक्सीन की दोस्त मरीज को सुरक्षा चक्र प्रदान करती है वैक्सीन लेने वालों में संक्रमण का खर्चा जीरो 0.40 भेज दिए वहीं वैक्सीन ना लेने वालों में खतरा 3 गुना ज्यादा 1.21 है। हालांकि भारत में वैज्ञानिकों का दावा है कि को वैक्सीन कि दोनों डोज कोरोना की किसी भी वैरीअंट पर प्रभावी है।
विकास शर्मा (मार्मिक धारा)