प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को बने हुए ढाई साल से ज्यादा का समय हो चुका है। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर किसी भी मंत्री ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया है। मंत्रियों के लिए तय आचार संहिता में ऐसा करना जरूरी है। इस बार इसे भुला दिया गया है। गृह मंत्रालय से तय मंत्रियों की आचार संहिता में साफ प्रावधान है कि हर साल मुख्यमंत्री से लेकर सभी मंत्रियों को अपनी संपत्ति और लेनदारी- देनदारी का ब्यौरा सार्वजनिक करना होता है। पारदर्शिता के लिए ऐसा करना जरूरी है। बहुत से राज्यों में हर साल मुख्यमंत्री, मंत्री अपनी संपत्ति बता रहे हैं। लेकिन राजस्थान में अभी तक संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं करने पर इन दावों पर सवाल उठ रहे हैं।
ज्यादातर मंत्रियों ने पूछने पर यह तर्क दिया कि उनकी तरफ से संपत्ति का ब्यौरा हर साल सीएमओ को भेज दिया जाता है। आंतरिक व्यवस्था के हिसाब से मंत्रियों ने सीएम को भले ही अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे दिया हो, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा। इसे सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर पब्लिक डोमेन में उपलब्ध कराना जरूरी होता है। तभी संपत्ति सार्वजनिक मानी जाती है। जीएसडी की वेबसाइट पर केवल पूर्व मंत्रियों की संपत्ति का हाइपरलिंक दिया हुआ है। नए मंत्रियों की संपत्ति के विवरण पर हाइपरलिंक तक नहीं है।
2018 के चुनाव एफिडेविट के बाद जनता के सामने मंत्रियों की संपत्ति का ब्यौरा नहीं-
सीएम और मंत्रियों की संपत्ति लेनदारी-देनदारी के बारे में आखरी बार सार्वजनिक जानकारी 2018 में विधानसभा चुनाव लड़ते वक्त दिए गए शपथ पत्र में ही दी थी। वह एफिडेविट ही नेताओं की संपत्ति के बारे में सार्वजनिक जानकारी का एकमात्र जरिया है।
मंत्रियों के लिए तय आचार संहिता में हर साल संपत्ति का ब्यौरा देना अनिवार्य है-
देशभर में मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के लिए आचार संहिता बनी हुई है। उस आचार संहिता में मंत्रियों के लिए हर साल संपत्ति का ब्यौरा देना अनिवार्य होता है। आचार संहिता के मुताबिक मंत्रियों पर व्यापार करने और संपत्ति अर्जित करने पर कई पाबंदियां हैं।
बीजेपी ने पूरे 5 साल और गहलोत सरकार का आधा कार्यकाल निकला-
मंत्रियों की संपत्ति सार्वजनिक करने की आचार संहिता का पालन गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में पूरे 5 साल हुआ था। 2009 से लेकर 2013 तक हर साल मंत्रियों की संपत्ति जीएसडी की वेबसाइट पर अपलोड की जाती थी। 2013 में वसुंधरा राजे की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार सत्ता में आई। बीजेपी सरकार ने पूरे 5 साल तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे सहित किसी भी मंत्री ने संपत्ति सार्वजनिक नहीं की और अब गहलोत सरकार भी उसी राह पर चल रही है।
बिहार मध्य प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में हर साल संपत्ति सार्वजनिक कर रहे हैं मंत्री-
मंत्रियों की संपत्ति सार्वजनिक करने में बिहार जैसे राज्य का ट्रैक रिकॉर्ड राजस्थान से अच्छा है। बिहार में हर साल मुख्यमंत्री और मंत्री संपत्तियों का ब्यौरा सार्वजनिक कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में भी इस का पालन हो रहा है। राजस्थान में पिछले साढे 7 साल से मंत्रियों की संपत्ति सार्वजनिक नहीं हुई है।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)