चित्तौड़गढ़, प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंगलवार से मेवाड़ यात्रा शुरू की, लेकिन यहां कार्यकर्ताओं को राजे की नाराजगी का सामना करना पड़ा। सभा के दौरान भीड़ मंच पर पहुंच गई। पुलिस के लिए भी कंट्रोल करना मुश्किल हो गया। पहले राजे ने मंच पर आए कार्यकर्ताओं को फटकार लगाई, फिर भी कार्यकर्ता नहीं माने तो नाराज होकर राजे भाषण के बीच में ही भाषण छोड़ कर बैठ गई। इसके बाद भी कार्यकर्ता नहीं माने।
इससे पहले वसुंधरा राजे सांवलिया सेठ के मंदिर गई। मंदिर समिति के सदस्यों ने उनका स्वागत किया। राजे ने पहली बार सांवरा सेठ के दर्शन कर अपनी यात्रा की शुरुआत की है। अब तक राजे के चारभुजानाथ मंदिर से ही शुरुआत करती थी।
हर बात को राजनीति से जोड़ना गलत-
राजस्थान में 2 साल बाद चुनाव होने वाले हैं। राजनीतिक गलियारों में राजे की यात्रा को लेकर चर्चाएं हैं। इसे चुनाव की तैयारी और वसुंधरा की दावेदारी मजबूत करने से जोड़कर देखा जा रहा है। मंच से राजे ने कहा कि पार्टियां कयास लगा रही है कि यहां यात्रा राजनैतिक है। उन्होंने कहा कि कोविड में लोगों ने अपनों को खोया है। उनके दुख में शरीक होने आई हूं। सांवरा सेठ के दर्शन कर कोविड कम होने का धन्यवाद दिया है।
मंच पर भीड़ देखकर नाराज हुई राजे-
मंदिर में धोक लगाने के बाद वसुंधरा राजे ने यशोदा भवन में सभा को संबोधित किया। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं और भीड़ को कंट्रोल करना पुलिस के लिए चुनौती बन गया। राजे ने जैसे ही भाषण शुरू किया भीड़ मंच पर चढ़ गई। गुस्से में राजे बैठ गई और सभा से चले जाने की बात कही। पुलिस ने भीड़ को कंट्रोल करने का प्रयास किया। राजे ने कार्यकर्ताओं को मंच से उतरने को कहा। उन्होंने कहा कि 2 दिसंबर को झालावाड़ आएगी। झालावाड़ के कार्यकर्ता यहां न आए। इसके बाद भी मंच पर भीड़ जुटी रही।
चित्तौड़गढ़ से पहली बार की यात्रा की शुरुआत-
राजे ने हमेशा राजसमंद के चारभुजानाथ मंदिर से शुरुआत की है। यह पहला मौका है जब उन्होंने सांवरा सेठ के दर्शन कर यात्रा शुरू की। सरकार बनाने में मेवाड़ की हमेशा अहम भूमिका रही है। राजे 24 को चारभुजानाथ जी के दर्शन के बाद 25 को फिर से जिले के बेगूं में महाश्रमण के दर्शन और पूर्व दिवंगत कैबिनेट मंत्री चुन्नीलाल धाकड़ के घर जाकर शोक संवेदना जताएंगी।
पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत करने का है प्रयास-
इससे पहले चुनावी लक्ष्य को साधने के लिए वसुंधरा राजे ने सुराज संकल्प यात्रा, परिवर्तन यात्रा और गौरव यात्रा की शुरुआत राजसमंद से चारभुजा नाथ जी से की थी। हालांकि इस यात्रा को केवल देव दर्शन का नाम दिया गया है।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)
हर्षवर्धन शर्मा (मार्मिक धारा) www.Marmikdhara.in.(Hindi)
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