रीट परीक्षा से जुड़े कर्मचारी और संस्थान हड़ताल नहीं कर सकेंगे। सरकार ने हड़ताल कार्य बहिष्कार पर रोक लगा दी है। रीट पर राजस्थान एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट (रेस्मा) लगाने को मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी है। रीट को आवश्यक सेवा के दायरे में लिया है। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद गृह विभाग रेस्मा लागू करने के आदेश जारी कर रहा है। इससे अब रीट से जुड़े संस्थानों में हड़ताल पर रोक लग जाएगी।
रीट परीक्षा पूरी होने तक रेशमा लागू रहेगा। देश में लागू होने के बाद रीट परीक्षा से जुड़े शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, रीट के सेंटर वाले निजी स्कूल के कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकेंगे। किसी भी तरह का कार्य बहिष्कार और हड़ताल गैरकानूनी माना जाएगा। हड़ताल करने वालों को पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर जेल भेज सकती है। रीट परीक्षा में करीब 25 लाख विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। प्रदेश भर में सेंटर बनाए गए हैं। परीक्षा के बीच हड़ताल रोकने के लिए सरकार ने इसे रेस्मा में लेने का फैसला लिया है।
राजस्थान एसेंशियल सर्विसेज मेंटिनेस एक्ट 1970 के प्रावधानों के अनुसार सरकार लोगों से जुड़ी सेवाओं को अत्यावश्यक सेवा घोषित करती है। सरकार किसी भी सेवा पर एक बार में 6 माह तक रेस्मा लागू कर सकती है। 6 माह बाद चाहे तो रेस्मा की अवधि को बढ़ाया जा सकता है। अत्यावश्यक सेवा घोषित होने पर उस समय रेस्मा के प्रावधान लागू हो जाते हैं।
रेस्मा के मुख्य प्रावधान-
– रेस्मा में लागू होने के बाद हड़ताल की घोषणा करना, काम पर नहीं जाना, दूसरों को काम पर नहीं जाने देना, हड़ताल के लिए उकसाने और हड़ताल करने वालों को पैसा देना, गैरकानूनी माना जाता है।
– हड़ताल करने पर पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर जेल भेज सकती है। हड़ताल में भाग लेने वालों को 6 महीने तक जेल का प्रावधान है।
– हड़ताल करने के लिए उकसाने वालों को 1 साल की जेल और 1000 रूपए जुर्माने का प्रावधान है।
– रेशमा लागू होने के बाद हड़ताल करने वालों को पैसा देना, भोजन करवाना सहित किसी तरह की मदद करने वालों को 1 साल तक जेल और 1000 रूपए जुर्माना हो सकता है।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)