विधानसभा चुनाव में अभी 2 साल से ज्यादा का समय बाकी है। बीजेपी में बड़े नेताओं में आपसी खींचतान खुलकर सामने आ रही है। इसे कम करने के लिए अभी से अंदरूनी तौर पर प्रयास शुरू हो गए हैं। कुंभलगढ़ में 2 दिन तक बीजेपी के चिंतन शिविर का आयोजन हुआ। शिविर में सीएम फेस की कतार में खड़े नेताओं को खींचतान मिटाने का साफ संदेश दे दिया गया है। बीजेपी विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी के चेहरे के साथ सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने का फार्मूला अपनाएगी।
भाजपा की चिंतन बैठक पहले भी होती रही है। लेकिन इस बार चिंतन बैठक ऐसे माहौल में हुई है जब पार्टी के भीतर सीएम फेस और सीएम इन वेटिंग बनने के लिए नेताओं की लंबी कतार लगी हुई है। कई केंद्रीय मंत्री, सांसद और बीजेपी नेता खुद को पिछले सवा साल से सोशल मीडिया पर सीएम फेस प्रोजेक्ट करने में लगे हुए हैं।
ऐसे सभी नेताओं की एक्सरसाइज से पार्टी के भीतर जबरदस्त खींचतान का माहौल बन गया है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का खेमा भी मुखर होकर मुद्दे उठाता रहता है। केंद्रीय नेतृत्व ने खींचतान मिटाने के लिए अब चिंतन शिविर के जरिए मैसेज दे दिया है कि सीएम फेस प्रोजेक्ट ही नहीं होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा रहेगा आगे-
राजस्थान भाजपा में कांग्रेस की तरह ही लगातार चल रही खींचतान और खेमेंबंदी को मिटाने के लिए सामूहिक नेतृत्व का फार्मूला तैयार किया गया है। राजस्थान में पार्टी विपक्ष में है। इसलिए यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा और केंद्र के कामकाज के आधार पर पार्टी वोट मांगने मैदान पर उतरेगी। पीएम का चेहरा सामने करके स्थानीय सीएम फेस की लड़ाई को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
गुजरात मॉडल से चुनाव लड़ेगी बीजेपी-
बीजेपी इस बार के विधानसभा चुनाव में गुजरात मॉडल पर चुनावी मैदान में उतरेगी। गुजरात मॉडल के आधार पर हर बूथ स्तर तक चुनाव से पहले ही 20 वोटर पर एक कार्यकर्ता की ड्यूटी लगाई जाएगी। हर बूथ पर पन्ना प्रमुख और हाफ पन्ना प्रमुख अप्रैल तक नियुक्त करने का टारगेट दिया गया है।
इस फार्मूले पर पूरे देश में काम चल रहा है। राजस्थान में इस पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। गुजरात मॉडल की शुरुआत सूरत से की गई थी, जो बाद में कहीं जगह सफल रही। इस मॉडल से चुनाव में जीत की संभावना बढ़ जाती है। गुजरात मॉडल पर चुनाव लड़ने से सीएम फेस की लड़ाई खत्म हो जाएगी।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)