स्थान और समय का चुनाव:
शनि चालीसा पढ़ने के लिए शुद्ध और शांत स्थान का चयन करें। शनिवार को पढ़ना सब से शुभ माना जाता है, लेकिन आप इसे अन्य दिनों में भी पढ़ सकते हैं। सुबह या शाम का समय सब से उपयुक्त होता है।
स्नान और पूजा सामग्री:
शनि चालीसा पढ़ने से पहले अच्छी तरह से स्नान करें और पवित्र वस्त्र पहनें। शनि देव की मूर्तिया फोटो, दीपक, अगरबत्ती, रोली, कलश, पानी, चावल, शुद्धघी, कालेतिल, ताम्बेकालोटा, दूध, चना, काली उड़द की दाल, तुलसी और दूध या सामग्री को पूजा के लिए तैयार करें।
पूजा की विधि:
शनि चालीसा पढ़ने से पहले शनि देव की मूर्तिया फोटो के सामने बैठकर पूजा करें। दीपक और अगरबत्ती जलाकर शनिदेव को आह्वान करें। फिर रोली, चावल, तिल, दूध, चना और उड़द की दाल का भोग लगाएं। अंत में तुलसी और दूध से अभिषेक करें।
शनि चालीसा का पाठ:
पूजा और भोग के बाद, शनि चालीसा का पाठ शुरू करें। इसके लिए श्रद्धा और समर्पण के साथ पढ़ें, समय-समय पर मंत्रों का उच्चारण सही करते हुए।
आरती और प्रसाद:
शनि चालीसा के पाठ के बाद, शनिदेव की आरती करें। आरती के दौरान दीपक की लौको देवता के सामने घुमाएं। आरती समाप्त होने पर, भोग को प्रसाद में परिवर्तित कर के सभी उपस्थित लोगों को बांटें।
दान और कर्म:
शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए, दान और कर्म भी महत्वपूर्ण हैं। शनिवार को काले कपड़े, तिल, चना, भोजन, याधन का दान करें। इसके अलावा, सच्चे कर्म करके और गरीबों की मदद कर के शनिदेव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
ध्यान और जप:
शनि चालीसा के पाठ के साथ-साथ, ध्यान और जप भी करें। ध्यान करते समय, शनिदेव के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति का व्यक्त करें। जप के लिए “ॐ शनिदेवायनमः” मंत्र का उच्चारण करें।
नियमितता:
शनि चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से, शनिदेव की कृपा और आशीर्वाद अधिक होता है। नियमित पाठ करने से, आपके आपसे संबंधित सभी दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं।
व्रत:
शनिदेव की कृपा के लिए व्रत रखना भी महत्वपूर्ण है। शनिवार के दिन व्रत रखकर, शनिदेव को संतुष्ट करें। व्रत के दिन, सदाचार और शुद्ध आहार पर ध्यान दें।
श्रद्धा और निष्ठा:
शनि चालीसा पढ़ते समय, श्रद्धा और निष्ठा बहुत महत्वपूर्ण है। भक्ति भाव से पढ़ने से, शनिदेव की कृपा से आपके जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है।
शनि चालीसा पढ़ने के सही तरीके, महत्वपूर्ण नियम और टिप्स को समझ पाएंगे। इन नियमों और टिप्स का पालन करके, आप शनिदेव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। शनिदेव की कृपा से आपके जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सफलता बनी रहेगी।
अंतिम विचार:
शनि चालीसा पढ़ने की विधि और नियमों को समझने और उसे सही ढंग से पढ़ने से शनिदेव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना संभव है। शनिदेव की कृपा से आपके जीवन के कठिनाइयों में सुधार हो सकता है, और आपके दुःखों और कष्टों को कम करने में मदद मिल सकती है। आइए, हम शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए शनिचालीसा का पाठ करें, और उनकी आशीर्वाद से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करें।
शनिमंत्र
शनि मंत्र हिंदू धर्म में ग्रह शनि के प्रतिनिधि शनिदेव को समर्पित होता है। इस मंत्र का उच्चारण करने से शनिग्रह के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है और भाग्यशाली बनाता है। यहां एक प्रसिद्ध शनिमंत्र हिंदी में दिया गया है:
ॐ शंशनैश्चरायनमः
इस मंत्र का अर्थ है” मैं शनिग्रह के शासक शनिदेव को नमन करता हूं।“
आप शनिदेव की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए इस मंत्र को रोजाना 108 बार जप सकते हैं, विशेष कर शनिवार को। शनिमहादशा और अंतर दशा के दौरान इस जप को करने से अधिक लाभ मिलता है।
शनि चालीसा एवं शनि आरती की PDF नीचे दिए गए लिंक से डाउनलोड करें
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