पंजाब के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह गुरुवार को भी दिल्ली में है। एक हफ्ते में दिल्ली का उनका यह दूसरा दौरा है। बुधवार को उन्होंने सांसद पत्नी परनीत कौर के निवास पर श्री आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी से मुलाकात की। गुरुवार को उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हो सकती है। पिछले दौरे में अमरिंदर सिंह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मिले थे।
अमरिंदर के दिल्ली दौरे को पंजाब में उनकी नई सियासी पारी से जोड़कर देखा जा रहा है। अमरिंदर सिंह के अगले दांव से कांग्रेस हाईकमान भी चिंतित है। इसलिए राजस्थान के मंत्री हरीश चौधरी पंजाब में डटे हुए हैं। कांग्रेस प्रचार कर रही है कि वह नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम चरणजीत सिंह चन्नी की कलह सुलझाने आए हैं। हालांकि हकीकत यह है कि वे अमरिंदर सिंह के अगले दांव को संभालने के लिए डटे हुए हैं। अमरिंदर सिंह की गतिविधि और उनसे मिलने वाले नेताओं के बारे में हाईकमान को सूचना दे रहे हैं।
कांग्रेस की चिंता, कहीं विधायक टूट कर चले ना जाए-
पंजाब कांग्रेस को लेकर हाईकमान की चिंता खत्म नहीं हो रही है। खासकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के ऐलान के बाद पार्टी का डर और बढ़ गया है। इसकी बड़ी वजह उनका पंजाब में सियासी रसूख है। अमरिंदर 52 साल से पंजाब की राजनीति में है। कांग्रेस को डर है कि कैप्टन जब भी अगले सियासी संगठन की शुरुआत करेंगे, तो उनके विधायक टूट सकते हैं। सूत्रों की मानें तो करीब 15 विधायक अमरिंदर सिंह के संपर्क में है। अच्छी परफॉर्मेंस के बावजूद सिर्फ कैप्टन के करीबी होने की वजह से मंत्री पद से हटाए गए विधायक भी शामिल है। ऐसी सूरत में पंजाब में कांग्रेस बहुमत में रहे और सरकार रहते ही चुनाव का सामना करें इसको लेकर हरीश चौधरी विधायकों के संपर्क में है।
किसान आंदोलन के समाधान में मध्यस्थ का काम करेंगे अमरिंदर-
पंजाब में चर्चा इसी बात को लेकर है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह किसान आंदोलन की समस्या के समाधान में मध्यस्थ बनेंगे। कृषि कानूनों के विरोध में करीब 10 महीने से दिल्ली के सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन चल रहा है। इसके बाद अमरिंदर सियासी पार्टी का आगाज कर सकते हैं। अमरिंदर के लिए यह मुश्किल काम नहीं है। जितने अच्छे रिश्ते उनके पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से हैं, उतने ही किसान नेताओं से भी हैं। किसान आंदोलन का हल निकले यह किसान नेता भी चाहते हैं। सरकार और किसानों के बीच बातचीत बंद है। यह भी चर्चा है कि अमरिंदर को राज्यसभा के रास्ते सांसद बनाकर केंद्र में कृषि मंत्री बनाकर कानून वापसी या संयुक्त किसान मोर्चा की सहमति से इसका हल निकाला जा सकता है।
कांग्रेस जिस सिद्धू के भरोसे, उसी से टक्कर लेंगे कैप्टन अमरिंदर सिंह-
कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू पर भरोसा करके ही कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया गया था। कांग्रेस को उम्मीद है कि 2022 में सिद्धू के दम पर पंजाब चुनाव जीत सकते हैं। हालांकि अमरिंदर ने सिद्धू को ही टक्कर दे दी है। अमरिंदर ने कहा कि सिद्धू पंजाब के लिए सही व्यक्ति नहीं है। उनकी पाक पीएम इमरान खान और सेना प्रमुख बाजवा से दोस्ती है। वह सिद्धू को चुनाव नहीं जीतने देंगे। सिद्धू के खिलाफ मजबूत कैंडिडेट उतारेंगे। अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा था कि वह अगला चुनाव जीत राजनीति छोड़ रहे थे, लेकिन अब हारकर मैदान नहीं छोड़ेंगे। इससे स्पष्ट है कि अमरिंदर सिंह का हर दांव विरोधियों से ज्यादा कांग्रेस की मुसीबत बढ़ाएगा।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)