गणेश उत्सव 10 सितंबर से शुरू हो रहा है। यह पर उसे 19 सितंबर तक चलेगा। गणेश पूजा में सबसे पहले गणेश जी का प्रतीक चिन्ह स्वस्तिक बनाया जाता है। गणेशजी प्रथम पूज्य देव है इस कारण पूजन की शुरुआत में स्वस्तिक बनाने की परंपरा है।
स्वस्तिक बनाकर पूजा करने से सभी धर्म कर्म सफल होते हैं और जिन मनोकामनाओं के लिए पूजा की जाती है। वह इच्छाएं भगवान पूरी करते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष शर्मा के अनुसार जानिए। पूजा की सफलता के लिए स्वस्तिक बनाते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
प्रथम।
स्वस्तिक कभी भी आला-टेडा नहीं बनाना चाहिए। एकदम सीधा और सुंदर बनाना चाहिए। ध्यान रखें घर में कभी भी उल्टा स्वस्तिक नहीं बने उल्टा स्वस्तिक मंदिरों में बनता है। किसी खास मनोकामना के लिए उल्टा स्वस्तिक बनाते हैं। घर में जहां स्वस्तिक बनाएं वह स्थान बिल्कुल साफ सुथरा होना चाहिए।
द्वितीय
स्वस्तिक धनात्मक यानि सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।दरवाजे पर स्वस्तिक बनाने से घर में नकारात्मकता प्रवेश नहीं कर पाती दैवी शक्तियां आकर्षित होती हैं। दरवाजे पर स्वास्तिक बनाने से वास्तु दोष भी दूर होते हैं।
तृतीय
वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए पूजा करते समय हल्दी से स्वस्तिक बनाना चाहिए। शेष मनोकामनाओं के लिए कुमकुम से स्वास्तिक बनाना चाहिए।
विकास शर्मा (मार्मिक धारा)