जयपुर, सूरत कोर्ट की सजा को बरकरार रखा जाएगा। सूरत कोर्ट में राहुल गांधी को 2 साल की सजा रखी गई है। सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी ने मोदी सरनेम केस में 2 साल की सजा दी गई है। गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि सूरत हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा जाएगा। गुजरात हाईकोर्ट ने यह दलील दी कि राहुल गांधी ऐसे आधार पर सजा पर रोक मांग रहे हैं जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। सजा पर रोक लगाना कोई नियम नहीं है। राहुल के खिलाफ 10 केस पेंडिंग है।
विगत वर्ष 23 मार्च 2023 को सूरत की सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के 27 मिनट बाद ही उन्हें जमानत मिल गई थी। अगले दिन 24 मार्च को दोपहर 2:30 बजे उनकी सांसदी चली गई थी।
राहुल गांधी के वकीलों ने सूरत कोर्ट में फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी, लेकिन सूरत कोर्ट ने उस पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद राहुल गांधी ने 25 अप्रैल को गुजरात हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन लगाई थी। इसके बाद 2 मई को हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या था मामला?
राहुल गांधी ने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। राहुल गांधी ने कहा था “सभी चोरों का सर ने मोदी क्यों होता है।”इसके बाद गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस किया था।
क्या कारण है कि राहुल गांधी की सांसद ही चली गई?
राहुल की संसद सदस्यता 24 मार्च को दोपहर करीब 2:30 बजे रद् कर दीं। राहुल गांधी केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य थे। लोकसभा सचिवालय ने पत्र जारी कर इस बात की जानकारी दी थी की राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त कर दी गई है। लोकसभा की वेबसाइट से भी राहुल का नाम हटा दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट 2013 के फैसले के अनुसार सदस्यता खत्म हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2013 को अपने फैसले में कहा था कि कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने की तारीख से ही संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के केस में दिया था। इससे पहले कोर्ट का आखिरी फैसला आने तक विधायक सांसद की सदस्यता खत्म नहीं करने का प्रावधान था।