आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व है और इस साल जन्माष्टमी पर कुछ खास योग बन रहे हैं, जो द्वापर युग में श्री कृष्ण जन्म के समय बने थे। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष शर्मा के अनुसार द्वापर युग में जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, उस समय भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि का चंद्र, और बुधवार था और इस बार जन्माष्टमी पर तीन योग उस समय के बन रहे हैं।
वार भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि का चंद्र रहेगा, लेकिन इस बार, वार सोमवार का रहेगा।
इन तीन विशेष योगों के कारण जो व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत रखेगा उसके तीन जन्मों के पाप नष्ट होंगे। इस बार स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय के लोग एक ही दिन व्रत रखेंगे।
पंडित शर्मा के अनुसार जन्माष्टमी की रात रोहिणी नक्षत्र और चंद्र वृषभ राशि में उच्च का रहेगा। इस दिन बाल गोपाल (लड्डू गोपाल) की विशेष पूजा केसर मिश्रित दूध को दक्षिणावर्ती शंख में भरकर अभिषेक करना चाहिए।
जो लोग संतान सुख चाहते हैं उन्हें जन्माष्टमी पर गोपाल स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। हरिवंश पुराण का पाठ भी कर सकते हैं। जन्माष्टमी के अगले दिन नंदोत्सव बनाने की भी परंपरा है। श्री कृष्ण पूजा में कृं कृष्णाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अलावा महामंत्र का जाप भी करना चाहिए। वह महामंत्र है “हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे”। महामंत्र का जाप तुलसी की माला के साथ करना चाहिए। क्योंकि कहा भी गया है कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरई पारा अर्थात इस युग में जो भगवान का केवल नाम ही लेगा वह मनुष्य इस भवसागर से तर जाएगा। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान कर दान आदि जरूर करना चाहिए। भगवान को माखन मिश्री का भोग जरूर लगाएं और अपने स्वजनों को प्रसाद बांटे।
विकास शर्मा (मार्मिक धारा)